SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 266
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विश्वास को रक्षा [ श्रीमती रूपवती किरण, किरणज्योति, जबलपुर ] पात्रानुक्रमणिका श्रेष्ठी धनंजय वसुमती चन्द्रकुमार सलिला सुदर्शन बलदेव जनसमूह [ श्रेष्ठी धनंजय के परिवार में वे उनकी पत्मी वसुमती एवं इकलौता पुत्र चन्द्रकुमार है । प्रातः काल का समय है। श्र ेष्ठी धनंजय जिन मन्दिर में पूजनार्थ जा चुके हैं। पत्नी वसुमती मन्दिर से श्राने वाली हैं । प्रासाद में प्रांगण के समीपवाले कक्ष में बालक चन्द्रकुमार व पडोस की बालिका सलिला खेल रहे हैं। भूमि पर खिलौने बिखरे हैं । प्रांगण में गुलाब, रजनिगंधा, बेला प्रादि फूलों की क्यारी महक रही है । ] सलिला - चन्द्र ! ये गुड्डा गुडिया बड़े प्यारे लग रहे हैं । चन्द्रकुमार धर्मात्मा कवि धनंजय की पत्नी धनंजय का पुत्र पड़ौसी बालिका पड़ौसी Jain Education International र-- ( खिलौने उठा उठाकर बतलाते हुये ) यह गुड्डा इस गुडिया का भैया है और गुडिया इसकी बहिन है । सलिला - ये तुझे किसने बतलाया ? चन्द्रकुमार -- मां ने ! वे कह रही थीं कि रक्षाबन्धन के दिन गुडिया गुढ्ढे को राखी बांधेगी । सलिला -- रक्षाबन्धन तो कल है । चन्द्रकुमार -- हां, हमारे यहाँ बुझा का निमंत्रण है। फूफाजी भी प्रायेंगे। हमारे यहाँ मिष्ठान्न बने हैं। सलिला -- क्या क्या बना है चन्द्र ? चन्द्रकुमार -- गुझिया, चन्द्रकला, इमरती, गुलाब जामुन, पेड़ा, पपडी, सेव ........ महावीर जयन्ती स्मारिका 77 For Private & Personal Use Only 3-1 www.jainelibrary.org
SR No.014023
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1977
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1977
Total Pages326
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy