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2. कर्मक्षय करने रूप मोक्ष के कारण और संसार का कारण वस्त्र नहीं रागादि हैं।
स्त्रीत्व में सह अनवस्थान अर्थात् एक के वस्त्र का प्रभाव भी मुक्ति का कारण नहीं -सद्भाव में दूसरे का न होना जैसे शीत के है क्योंकि सब वस्त्ररहित जीवों की मुक्ति सद्भाव में उष्णत्व का प्रभाव, विरोध भी नहीं होती। केवल वस्त्र मात्र ग्रहण से नहीं हैं।
साधु परिग्रही नहीं हो सकता नहीं तो
ध्यानस्थ मुनि पर वस्त्र डालने से वह भी 3. 'सर्वोत्कृष्ट रत्नत्रय जो कि मोक्ष का कारण
परिग्रही कहलावेगा। वस्त्र का स्पर्शमात्र है, स्त्रियों में नहीं होता' यह कहना भी ठीक
भी मुक्ति लाभ में बाधक नहीं है क्योंकि नहीं है क्योंकि इसका ज्ञान हम लोगों को
तीर्थ करों के अनेक पदार्थों का स्पर्श होने नहीं हो सकता।
पर भी मुक्ति होती है । 'वस्त्र जीवों की 4. अविकल कारण और स्त्रीत्व में परस्पर
उत्पत्ति का स्थान है अत: स्त्री मक्ति नहीं परिहार स्थिति लक्षण विरोध भी नहीं है।
हो सकती' क्योंकि प्रमाद का योग होने पर
ही हिंसा होती हैं और प्रमाद के अभाव में 5. स्त्रियां सातवे नरक तक नहीं जा सकती हिंसा भी अहिंसा होती है । 'स्त्रियां पुरुषों
इसलिए उनकी मुक्ति नहीं हो सकती' यह --- द्वारा वदनीय नहीं हैं अतः मुक्त नहीं हो भी ठीक नहीं हैं क्योंकि इनमें अविनाभाव सकतीं' यह तर्क भी ठीक नहीं है क्योंकि सम्बन्ध नहीं है। चरम शरीरी भी सातवें तीर्थ कर की माता को तो इन्द्र भी पूजते हैं। नरक तक नही जाते फिर भी मुक्त होते हैं । 'स्त्रियां दूसरों को स्मरण नहीं करा सकती
इस कारण मुफ्त नहीं हो सकती' यह भी 6. 'बादादिलब्धि के अभाव के कारण स्त्रियां ... ठीक नहीं है क्योंकि ऐसा कोई नियम नहीं मुक्त नहीं हो सकतीं, यह कहना भी ठीक नहीं
है। यदि ऐसा नियम हो तो शिष्य कमी .. है क्योंकि-..
मुक्त हो ही नहीं सकेगा । (क) मूक केवली को मोक्ष नहीं हो सकेगा,
'यथाख्यात चारित्र' नहीं होने से स्त्री मोक्ष नहीं २ (ख) तत्वाधिगम सूत्र में जो यह कहा है कि
जा सकतीं यह. कारण भी ठीक नहीं है क्योंकि . केवल सामायिक पदों का (तुषमाषभिन्न
स्त्रियों के यथाख्योत चारित्र के कारण व्रत उपप्रादि) उच्चारण करके अनन्त जीव सिद्ध हो
वासादि होते हैं। .. गये हैं वह मिथ्या हो जायगा । (ग) 'वादादि ... लब्यिों के प्रभाव होने से मोक्ष का भी
... जब भाव स्त्री वेद घाला. पुरुष मुक्त हो सकता - प्रभाव मानना ठीक नहीं है। ...
है तो द्रव्य स्त्री वेद वाली स्त्री क्यों नहीं हो 7, 'अल्पश्र त ज्ञान के कारण स्त्री मुक्ति संभव
सकती। संक्षेप में ये तर्क स्त्री मुक्ति के समर्थन नहीं है' यह भी ठीक नहीं है । तुषमाषभिन्न
में दिये गये हैं। इस विषय को विस्तार से जानने. . ज्ञान वालों को भी मुक्ति होने के कथन
के लिए स्त्री मुक्ति प्रकरण, ललित विस्तरा, शास्त्रों में मिलते हैं
न्यायावतार वार्तिक, न्यायकुमुदचन्द्र , सन्मति तर्क
प्रकरण, षड्दर्शन समुच्चय, शास्त्रवार्ता समुच्च य 8. वस्त्रग्रहण भी मुक्ति में बाधक नहीं है क्योंकि प्रादि ग्रन्थों को देखना चाहिये। 1-106
महावीर जयन्ती स्मारिका 77.
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