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गांधीदर्शन
शान्ति की ओर अग्रसर होते जायेंगे, चाहे हमारी इस प्रगति का कोई चरम बिन्दु न हो। इतना तो अवश्य हो निश्चित हो जाता है कि मूल रूप में हमारा साधन शुद्ध है और सही है और वह बांछित फल की ओर हो हमें ले जा रहा है विपरीत दिशा में नहीं, यही साधन का स्वाभाविक महत्त्व है।
परिसंवाद-३
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