________________
भारतीय चिन्तन को परम्परा में नवीन सम्भावनाएं को इसकी ओर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि बौद्धिक बातों पर हमारा ध्यान अधिक रहता है, पर सामान्य दिनचर्या में शरीरश्रम पर हम कम बल देते हैं ।
___गांधी जी व्यावहारिक दार्शनिक थे, वह उन दार्शनिक सिद्धान्तों को स्वीकार करते थे जिनका वह व्यवहार में उपयोग कर सकते थे। उनका पवित्र साधन से पवित्र साध्य की प्राप्ति का सिद्धान्त भारतीय जनमानस में घर कर गया है । वह मानते थे कि अहिंसा रूपी पवित्र साधन से शुद्ध सत्य की प्राप्ति सम्भव है। इस प्रकार वह साध्य साधन के अभेद सिद्धान्त के प्रतिपादक थे। इस सिद्धान्त की प्रतिष्ठा में अहिंसा वृत्ति पर बल देने के कारण गांधी जी के सिद्धान्त व्यावहारिक बन गये । उनका विरोधी के प्रति प्रेम दृष्टि, सक्रिय प्रतिरोध, सत्याग्रह, अहिंसक व्यवहार आदि ऐसे व्यावहारिक शस्त्र थे, जिन के बल पर ब्रिटिश हुकूमत से उन्होंने मुकाबला किया था। अध्यात्ममार्ग एवं भारतीय संस्कृति के परिपोषक लोगों को गांधी जी के दिखलाये मार्ग पर बढ़ने का उत्साह मिल सकता है। सभी आगत विद्वज्जन वर्तमान परिस्थिति में गांधी जी की उपादेयता पर अपने विचार व्यक्त कर उस रास्ते को स्पष्ट करेंगे, जिनपर चलकर वर्तमान पीढ़ी को रोशनी प्राप्त हो।
परिसंवाद-३
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org