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गुणस्थान-सिद्धान्त का उद्भव एवं विकास
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श्रावक
सास्वादन सास्वादन सम्यक्दृष्टि (सासायण
सम्मादि सम्मा-मिच्छाइट्ठी सम्मा-मिच्छा- | सम्यक्-मिथ्यादृष्टि (मिस्सगं)
दिट्ठी (मिश्रदृष्टि) (सम्यक
मिथ्या-दृष्टि) सम्यक् दृष्टि सम्माइट्ठी (सम्यक् दृष्टि अविरय | सम्यक् दृष्टि अविरदीए)
सम्मादिट्ठी विरदाविरदे
विरयारिए (विरत-अविरत) (विरत-अविरत) देसविरदी (सागार)
संजमासंजम पमन्तसंजए विरत
विरद (संजम) अपमत्तसंजए | प्रमत्तसंयत अनन्तवियोजक दंसणमोह उवसामणे
अप्रमत्तसंयत (दर्शन मोह-उपशामक) निअट्टिबायरे दर्शनमोह-क्षपक दंसणमोह खवग (दर्शन
अपूर्वकरण मोह-क्षपक) . अनिअट्टि(चारित्रमोह)उपशमक चरित्तमोहस्स उपसामगे | बायरे | अनिवृत्तिकरण
(उवसामणा) सुहुम संपराए सुहुमरागो (सुहुमम्हि
सूक्ष्मसम्पराय संपराये)
उवसंतमोहे उपशान्त (चारित्र)मोह | उवसंत कसायं
| उपशान्त-मोह (चारित्रमोह)-क्षपक खवगे
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