________________
687)
इस शोध-संकलन के प्रकाशन में सहयोग के लिए हम डा. श्रीरंजन सूरिदेवजी का विशेष रूप से आभारी हैं, जिन्होंने अपनी सारस्वत व्यस्तताओं के बावजूद शोधपत्रों के सम्पादन करने और उन्हें मुद्रण के उपयुक्त बनाने का मूल्यवान् कार्य कर इस अनुष्ठान में तत्परतापूर्ण सहयोग किया। यह उनके विद्वत्सुलभ विनय एवं सदाशयता को प्रतीकित करता है। ___ अन्त में हम तारा प्रिंटिंग प्रेस, वाराणसी के व्यवस्थापक श्री रवि प्रकाश पण्ड्या को भी धन्यवाद देना चाहेंगे, जिन्होंने तत्परता के साथ यह कलावरेण्य प्रकाशन संस्थान के लिए सुलभ किया।
३१ दिसम्बर १९९२
युगल किशोर मिश्र
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org