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अनेकान्तवाद की प्रासंगिकता
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बसंत ऋतु के आगमन में यहाँ सोलहों श्रृंगार दीख पड़ते हैं। छ: ऋतुओं में तथा बारहों महीनों में प्रकृति में अनेक सारे परिवर्तन होते हैं। प्रकृति तो सर्वदा एकसा स्थिर नहीं रह सकती। प्रकृति के अनेकों रूप में अनेकान्तात्मक प्रकृति एक उदाहरण है। राजनीति के क्षेत्र में - अनेकान्तवाद
वर्तमान में जबकि राजनीति के चेहरे को व्यक्तिगत स्वार्थवाद, ओछी मानसिकता, अदूरदर्शिता आदि ने कुरूप कर दिया है, अनेकान्तवाद का प्रयोग राजनीति को एक नए समाधान की ओर ले जा सकता है। भारतीय राजनीति हो या अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति अनेकों पार्टियां जो अपने को ही प्रजातन्त्र का सही प्रहरी मानती हैं, एक मूल्यों पर आधारित राजनैतिक व्यवस्था देने में अक्षम हैं। भाई-भतीजावाद, संर्कीण भावनाओं के चलते राजनीतिक मूल्यों में लगातार गिरावट हो रही हैं। पार्टियों के रूप में अनेकता चाहे जितनी हो लेकिन यदि सामंजस्य का अभाव है तो भारत जैसे प्रजातन्त्र के लिए घातक सिद्ध होगी।
___ आज राजनीति के क्षेत्र में भी 'येन केन' प्रकारेण अधिकार की प्राप्ति का ही एक मात्र लक्ष्य हो गया है जो राजनीति का एक घिनौना रूप है। अन्तर्राष्ट्रीय क्षितिज पर अमरीका की राजनीति को लें तो वहाँ, अनेकता में एकता का दर्शन होता है। (१) रिपब्लिकन (२) डेमोक्रेटिक- नामक दो राजनीतिक पार्टियाँ हैं। भारतीय गणतन्त्र की तरह अनेकों पार्टियाँ नहीं हैं।
ये दोनों पार्टियाँ पूँजीवाद को माननेवाली हैं। अगर कभी रिपब्लिकन्स अधिकार प्राप्त करते हैं तो डेमोक्रेट्स बाहर रहते हैं। दोनों पार्टियां देश प्रेमी हैं।
इंग्लैंड में तो समाजवादी धारणा की पार्टी लेबर पार्टी तथा पूँजीवादी पार्टीकन्जर्वेटिव में पार्टी अधिकार के लिए निरंतर होड़ लगी रहती है। दोनों पार्टियों की नीति, सिद्धान्त, अनुष्ठान विधि आदि में बड़ा ही अंतर है। फिर भी राष्ट्रप्रेम के पक्ष पर दोनों पार्टियाँ समान बनती हैं। युद्धकाल में दोनों राजनैतिक पक्ष देश की रक्षा को ही मुख्य मानकर संगठित होती हैं।
___ यूरोप के कई राष्ट्रों में पूँजीवादी सरकारें ज्यादा हैं- परंतु कुछ राष्ट्रों में समाजवाद (सोशियलिज्म) के आदर्श पर चलने वाली सरकारें हैं। स्थूल दृष्टि से देखें तो कम्यूनिज्म हो या कैपिटलिज्म हो- सरकारों का उद्देश्य होता है- अपने देश की जनता का कल्याण।
अनेकों देशों में अनेकों पद्धतियों की सरकारों के होने पर भी यदि परस्पर भाईचारा तथा लोककल्याण की दृष्टि रहे तो राजनीतिक परिदृश्य ही बदल जाएगा। अमेरिका, सोवियत रूस, चीन, फ्रांस जैसी परस्पर विरोधी महान् शक्तियों के मध्य में
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