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Multi-dimensional Application of Anekāntavāda
५७. श्रमण, जनवरी-मार्च-९० पृ०-३४ ५८. स्याद्वाद और सप्तभंगी- एक चिंतन 'श्रमण' जनवरी-मार्च- ९० पृ०-३७ ५९. श्रमण,जनवरी-मार्च-९० पृ०-३७ ६०. लोकतत्त्वनिर्णय-३८ ६१. श्रमण, जनवरी-मार्च-९० पृ०-३७-३८ ६२. अहिंसा-संदेश, सितम्बर-अक्टूबर-नवम्बर-७८ ६३. श्रमण, जनवरी-मार्च-१९९० पृ० ३७-३८ ६४. श्री अमर भारती - जनवरी-८५ पृ० ३४ ६५. जैन दर्शन स्वरूप और विश्लेषण, देवेन्द्र मुनि शास्त्री, पृ० २५२ ६६. वही पृ०- २५२
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