________________ अम्बपाल :: एक दृश्य ___287 ___ अम्बपाली-बही, जो दो समान-बलशालो व्यक्तियों की जोर-आजमाई के बाद होता है। अजातशत्रु-समान-बलयाली ? .. अम्बपाली-जी, हाँ / बल सिर्फ तलवार और धनुष में नहीं है, मगषपति / कुछ ऐसी ताकतें भी हैं जिनके सामने तलवारें मोम की तरह गल जाती हैं और धनुष तिनके की तरह टूट जाते हैं / क्या आप भगवान बुद्ध के निकट धनुष धौर तलवार लेकर गये थे ? अजातशत्रु-(कुछ बोलता नहीं, सोचता है) अम्बपाली-(मुस्कुराती हुई) और अम्बपाली के पास भी आप तलवार और धनुष लेकर नहीं आ सके। अजातशत्रु-तुम इस भ्रम में न रहो कि मैं निःशस्त्र है। अम्बपाली-भगवान बुद्ध ने भी यह कभी न सोचा होगा कि मगधपति साधनहीन होने के कारण उनके पास निःशस्त्र गये थे। अजातशत्रु-तुम अजीब नारी हो अम्बपाली। अम्बपाली-भगवान बुद्ध ने भी यही कहा था। अजातशत्रु-उन्होंने और क्या कहा था ? अम्बपाली-उनसे मेरी बातें अभी रह गयी हैं-वह फिर वैशाली पधारेंगे। ... अजातशत्रु-अम्बपाली राजगृह चलो / वहीं नृद्धकूट पर भगवान के दर्शन करना / अम्बपाली -मगधपति, अपने को धोखे में मत रखिए। आप मुझे गृध्रकूट पर भगवान के दर्शन कराने के लिए बामन्त्रित करने नहीं आये हैं। भगवान् और मृद्धकूट का दिव्य सन्देश आपने सुना होता, तो आप यहाँ इस रूप में आते ही नहीं। यहाँ पर आपको बोषिवृक्ष की छाया नहीं, मार की आंधी उड़ा ले आई है। लेकिन सोचिए, सम्राट, जिसकी एक छोटी-सी तस्वीर ने आपके शरीर से पीला वस्त्र उतरवाया, नर-संहार पर उतारू कराया, उसका वहाँ सशरीर जाना आपके, राजगृह के और मगध के लिए, क्या मङ्गल की बात हो सकती है ? अम्बपाली की यह बात सुन वह थोड़ी असमंजस में पड़ जाता है, लेकिन, फिर जैसे सम्हल कर बोलता है अजातशत्रु-मैं अकेला लौट नहीं सकता / (उसकी आवाज भर्राई हुई है) अम्बपाली- सभी यही कहते हैं, समी यही चाहते हैं, लेकिन, एक दिन सभी को अकेले लौटना होता है, मगधपति / यही होता आया है, यही होता रहेगा। हां, अगर हमने सही मार्ग पकड़ा, तो एक दिन हम सभी एक साथ होंगे-अनन्त काल तक के लिए / सवाल सिर्फ क्षणिक और अनन्त के बीच चुनाव का है, सम्राट ! _____ अजातशत्रु चुप हो जाता है -धीरे-धीरे टहलता है किन्तु, अब उसके चेहरे पर उत्तेजना या रोष की भयानकता नहीं, विषाद और पराजय की भावना है--वह अचानक जैसे कुछ निर्णय कर लेता है और कहता है।