________________ 284 Homage to Vaisali अजातशत्रु -सौन्दर्य, जो राज्य से भी अधिक प्रलोमक, मोहक और आकर्षक है। हर दिव्य वस्तु क्षणिक होती है, राजनतंकी ! फूल की मुस्कान, चपला की चमक, इन्द्रधनु की रंगीनियां और ओस की चमचमाहट–सब क्षणिक हैं ! क्षणिकता दिव्यता की अनुचरी ही नहीं, सहचरी है। . अम्बपाली - और, मानवता की महत्ता इसी में है कि आणिक के पीछे दौड़ा जाय ? अजातशत्रु-क्षणिक के पीछे नहीं, दिव्य के पीछे। हर अच्छी चीज के पीछे उसका बुरा पहलू होता है, राजनर्तकी। जन्म के पीछे मरण है, उल्लास के पीछे विषाद, उत्सव के पीछे मातम। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं कि जिन्दगी और जशन-जीवन और उत्सव-को भूलकर हम हमेशा शोक-सागर में गोते लगाते रहें-मातम मनाते रहें ! ___ अम्बपाली-(घृणायुक्त व्यंग्य में) और इस जिन्दगी और जशन के लिए हजारों भादमियों का खून बहाय, हजारों माताओं को निपूती बनायें, हजारों युवतियों का सुहागसिन्दूर धोयें और हजारों मासूम बच्चों की जिन्दगी को आंसुओं में डुबोयें ! ... अजातशत्रु-हो, हो / राजनतंकी, इन भावुकता की. बातों से तुम अजातशत्रु के दिल को दहला नहीं सकती- बल्कि ऐसा करके तुम उसके दिल में सोई उस. राक्षसी को कुरेदकर जगाती हो, जिसे वह मुश्किल से सुला पाता है। वह अचानक उठकर खड़ा हो जाता है-इधर-उधर टहलने लगता है-आसमान की ओर बार-बार देखता है-अम्बपाली कुछ देर तक उसकी भावभंगी देखती है - फिर नजदीक जाकर कहती है अम्बपाली- मगधपति, आसन ग्रहण करें। अजातशत्रु-नहीं, मुझसे बैठा नहीं जायगा, सुन्दरी ! अम्बपाली- 'सुन्दरी' कहकर मेरा अपमान न कीजिए / अजातशत्रु-हाँ, हाँ, समझा, समझा ! (हंसकर) सुन्दरी का आग्रह कोई कैसे टाल सकता है / अच्छा, आओ बैठे। अजातशत्रु बैठ जाता है किन्तु अम्बपाली खड़ी ही रहती है-अजातशत्रु कहता हैअजातशत्रु-बैठो, सुन्दरी! बम्बपाली-क्या नारी सिर्फ सुन्दरी ही होती है ? अजातशत्रु-हाँ, जो सुन्दरी नहीं है, वह नारी नहीं है। ठीक उसी तरह कि जो वीर नहीं है, वह मर्द नहीं है। अम्बपाली - नारी वीर भी हो सकती है ! अजातशत्रु-और मदं सुन्दर भी हो सकते हैं। लेकिन इन दोनों को प्राकृतिक गड़बड़झाला ही समझो, सुन्दरी !