________________ 86 અમૃત મહોત્સવ સ્મૃતિ ગ્રંથ // नाभेयजिन विज्ञप्तिरूपं स्तवनम् // - आनम्रकम्रामर पूर्वदेव: स वश्रियं यच्छतु मारुदेवः / अशिश्रियद्यच्चरणारविंद मिंदिंदिरालीव पयोधिपुत्री // 1 // त्वं वेत्सि सर्वं सचराचरं जगद् ज्ञानेन विश्वत्रितयावलोकिना। त्वं साक्षिकं देव तथापि वक्ष्ये, शुभाशुभं यद्विहितं मया तत् // 2 // (पाठांतर : तथापि ते नाथपुरो ब्रवीमि, मया कृतं कर्म शुभाशुभं यत्॥) संसारचक्रे भ्रमता चिरेण ___प्राप्तो मया मर्त्यभवः कथंचित्। तथापि दुर्बुद्धिरहं न कुर्वे धर्मं यथा स्यादमृतोपलब्धिः // 3 // (पाठांतर : धर्मं यथा स्यादपुनर्भवाप्तिः // 3 // ) प्रभो ! मया स्वीय गुरोर्मुखांबुजा द्यमानुरीकृत्य तथा न रक्षितान्। अवश्यमेवास्य कुकर्मणः फलं भोक्तव्यमस्तीति भयं न जातं // 4 //