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________________ रही थी। डॉ० स्टोन ने काकासाहेब से एक प्रश्न किया, "अहिंसक प्रतिकार कब शुरू करना चाहिए, इसका निर्णय कैसे हो?" आचार्यजी ने तुरंत उत्तर दिया, "जब समझाने के, अनुनय के सारे-के-सारे प्रयास कर लिये हों, उसका कोई परिणाम न निकला हो, तभी अहिंसक प्रतिकार के मार्ग को अपनाया जा सकता है। गांधीजी ने हमें सिखाया था कि अहिंसक प्रतिकार भी सामने वाले पर एक तरह की जबरदस्ती है, इसलिए समझौते के सब-केसब मार्ग प्रयोग कर लेने के पश्चात् ही इसे काम में लेने का अधिकार प्राप्त होता है।" उनके इस कथन के रहस्य पर हममें से जो नीग्रो लोगों के अमरीकी सत्याग्रह में योगदान देना चाहते थे उन लोगों में गंभीरता से भारत से हमारे लिये काकासाहेब जो देन लाये थे, उसका यह सारतत्व था। दोपहर के बाद हम वेस्ट मिन्स्टर मेरिलैंड गये, जहां बाल्टिमोर फ्रेंड्स (क्वेकरो) की वार्षिक सभा हो रही थी। वहां काकासाहेब ने अहिंसा पर व्याख्यान दिया और प्रश्नोत्तरी तथा चर्चा भी रही। ___ मेहमानों ने बाल्टीमोर के हमारे घर में रात व्यतीत की। अमरीका में उत्तर और दक्षिण के बीच की जो रेखा मानी गयी है, उसके तुरंत दक्षिण में बाल्टिमोर एक बड़ा नगर है। १८५८ में लगभग सब उपहारगहों में अलगाव नीति चलती थी, याने 'नोग्रो लो' उनमें नहीं जा सकते थे। इने-गिने होटलों ने ही अपने द्वार सबके लिए खोल रखे थे। माननीय भारतीय मेहमानों के लिए ऐसे एक होटल में भोजन सभारंभ हुआ। उसमें अलग जाति और वंशों के संबंधों में सुधार की इच्छा रखने वाले व्यापारी, डॉक्टर, वकील आदि लोगों का अच्छा प्रतिनिधित्व था। उसी शाम नीग्रो लोगों की सभा थी, जिसका आयोजन दोनों जातियों के शिक्षण-शास्त्रियों ने और पादरियों ने मिलकर किया था। अगली सुबह काकासाहेब और सरोज वाशिंगटन गये। पहले सेनेटर हयूबर्ट हम्फीसा के साथ मुलाकात हुई, जो सेनेट में दूसरी बार चुने गये थे और जो हमेशा से नागरिक अधिकारों के हिमायती रहे थे। लिंकन स्मारक के सामने वॉशिंगटन के सर्वाधिक प्रसिद्ध नीग्रो व्यक्ति डॉ० मोडेंकाई जॉन्सन, हावर्ड विश्वविद्यालय के अध्यक्ष के साथ काकासाहेब का चित्र खींचा गया। दोपहर के भोजन के समय अनेक संस्थाओं के श्रोता बहुत बड़ी संख्या में काकासाहेब का भाषण सुनने के लिए एकत्र हुए। रात को एक विख्यात नीग्रो-दंपति के घर पर भोज था। हर समय काकासाहेब का व्याख्यान और प्रश्नोत्तरी रहते थे। हमारा आखिरी प्रवास था न्यूयार्क शहर का। वहां काकासाहेब और सरोज मार्गरेट स्नाइडर से मिले। मार्गरेट बहन करीब एक साल सन्निधि, राजघाट में रही थीं। हमारे दामाद स्टॉटन लिंड से भी मिले । स्टॉटन बाद में अटलांटा के नीग्रो कॉलेज में प्राध्यापक बने और विद्यार्थियों की अहिंसक योजना समिति के संयोजक बनकर काले-गोरे सब विद्यार्थिर्यों को नागरिक अधिकार-आंदोलन में उत्सापूर्वक सक्रिय भाग लेने की प्रेरणा दी। कुछ समय बाद एक मित्र के साथ स्टॉटन लिन्ड ने वियतनाम की लड़ाई के विरुद्ध पहला सत्याग्रह किया। उसके लिए वे गिरफ्तार होकर जेल भी गये। ऐसे युवक स्टॉटन के लिए काकासाहेब के साथ अहिंसा की चर्चा करने का अवसर प्राप्त हो, यह एक अनोखा प्रसंग था। दूसरे लोग–वृद्ध और युवा--काकासाहेब की बातों अत्यन्त से प्रभावित हुए। उसी दिन अहिंसा पर एक विचार-गोष्ठी थी, जिसमें सब वर्ग और जाति के लोग उपस्थित थे। रात को मित्रों का स्नेह-सम्मेलन था। दूसरे दिन भारत के कौंसल-जनरल, के घर दोपहर का भोजन था। वहां प्रेस-कान्फ्रेन्स भी हुई। बाद में भारतीयों की एक बड़ी सभा में काकासाहेब का व्याख्यान था। ११८ / समन्वय के साधक
SR No.012086
Book TitleKaka Saheb Kalelkar Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain and Others
PublisherKakasaheb Kalelkar Abhinandan Samiti
Publication Year1979
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size11 MB
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