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की ओर से काकासाहेब वेस्ट इंडीज आदि केरीबीयन देशों में प्रवचन-यात्रा करने वाले थे। तुरंत मैंने उनकी अमरीका-यात्रा के प्रयत्न शुरू कर दिये । मैं चाहती थी कि यह यात्रा 'अमरीकन फ्रेंड्स सर्विस कमेटी' के द्वारा हो, क्योंकि यह संस्था नीग्रो लोगों के नागरिक अधिकारों के आंदोलन में सहानुभूति और दिलचस्पी रखती थी। क्वेकरों और अन्य मित्रों की सहायता से यह यात्रा साकार हुई।
२७ जून १९५८ को हेनरी नाइल्स और मैं न्यूयार्क के हवाई अड्डे पर काकासाहेब और उनकी मंत्री सरोजनी नानावटी से मिले । एक रात होटल में गुजारकर हम फिलेडल्फिया गये। हमारे बच्चे कुशिंग और लुई डोल्वेर के साथ दोपहर का खाना खाकर न्यू जरसी-केप में गये, जहां फ्रेन्ड्स (क्वेकर्स) की कॉन्फेन्स चल रही थी। वहां हम रेचल नेसन के घर पर ठहरे। उन्होंने कई विचारक क्वेकर मित्रों को काकासाहेब से मिलने के लिए आमंत्रित किया था।
बाद में एक अनौपचारिक सभा में काकासाहेब ने 'अहिंसा द्वारा परिवर्तन' पर प्रवचन किया। उसके बाद काकासाहेब और सरोज वेस्ट इंडीज की यात्रा पर निकले।
अगस्त १९५८ के पूर्वार्द्ध में काकासाहेब और सरोज वेस्ट इंडीज से मियामी आये, जहां हेनरी नाइल्स ने उनका स्वागत किया और वहां से मॉन्टगोमरी-आलाबामा चले। उस समय मोन्टगोमरी पृथक्करण के विरोध में अहिंसक बहिष्कार आंदोलन का प्रमुख केन्द्र था। उस आंदोलन के नेता थे-युवा डॉ. मार्टिन ल्यूथर किंग
—एक बॅप्टिस्ट पादरी, जिन्होंने उस अहिंसक बहिष्कार को अंत तक अहिंसक पद्धति से सफल बनाया था। डॉ० किंग ने महात्मा गांधी के विचार और कार्य का और अहिंसा द्वारा परिवर्तन लाने की शक्यता का गहरा अध्ययन किया था। अब पहली बार उनको अहिंसा की तकनीक पर गहराई में उतरकर चर्चा करने का अवसर मिल रहा था-एक ऐसे नेता के साथ, जिन्होंने भारत को ब्रिटिश राज्य से मुक्ति दिलाने वाले अहिंसक आंदोलन में सक्रिय योगदान दिया था।
हमारे आदरणीय अतिथियों के ठहरने की व्यवस्था डॉ किंग के घर और चर्च से जितनी नजदीक हो सके, उतनी निकट की गयी थी। यह कहते दुःख होता है कि गोरा होने के कारण हेनरी को वहां के कानन के अनुसार गोरों के होटल में अलग रहना पड़ा ! डॉ० किंग की धर्मपत्नी कोरेटा ने कहा कि तीनों मेहमानों को साथ डॉ० किंग के घर में ही भोजन करना है। रविवार की रात को काकासाहेब ने बप्टिस्ट चर्च में धर्मप्रवचन दिया।
इसमें वर्षों बाद कोरेटा किंग नयी दिल्ली आयी। उनके पति को मृत्यु के बाद जो नेहरू पुरस्कार अर्पित किया गया था, उसे स्वीकार करने के लिए उन्होंने यह यात्रा की थी। एक बड़े भोज में काकासाहेब और सरोज उनके सम्मुख बैठे हए थे। तब कोरेटा ने कहा कि मोन्ट गोमरी की काकासाहेब की मुलाकात ने मार्टिन के जीवन-पथ को एक नया मोड़ दिया, क्योंकि उनको अहिंसक तकनीकों की गहरी चर्चा करने का अवसर मिला. जिससे उनके नेतृत्व में नये स्फूर्तिदायक तत्वों का विकास हुआ।
वहां से काकासाहेब और सरोज वॉशिंगटन गये। वहां पहली मुलाकात थी 'फ्रेंड्स इंटरनेशनल हाउस' में, जहां काकासाहेब ने भारतीय विद्यार्थी समाज के सामने व्याख्यान दिया। शाम वॉशिंगटन 'अर्बन लीग' की ओर से सभारंभ था। वर्जिनिया में यह लीग काले-गोरों की महत्त्वपूर्ण संस्था है, जो नीग्रो जीवन के उत्थान का कार्य कर रही है।
अगले दिन कथरीन स्टोन के घर उनका स्वागत हुआ । वजिनिया लेजिस्लेचर की वह एकमात्र महिला सदस्या हैं और उदार मतवादी हैं। उन्होंने आलिंग्टन काउण्टी के मानव-संबंधों की संस्था के कई सदस्यों को जामंत्रित किया था। उस समय शालाओं में नीग्रो बच्चों को भी प्रवेश देने के प्रश्न पर देश में उग्र चर्चा चल
इतनलमा
व्यक्तित्व : संस्मरण | ११७