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________________ संस्मरण बखसो, के सिवा दूसरा जबाब ही न था । याद पड़े बाबा-वर्णी । पत्र लिखा ( महादेवीजीने ), उत्तर मिला "....दस्सा भाइयोंके ऊपर जो धर्म संकट आया पढ़कर बहुत दुखी हुआ, वीसा भाइयोंको उचित है जो उन्हें पूजनादि कार्यमें कोई बाधा उपस्थित न करें........मेरी हृदय से सम्मति है जो दस्सा समाजको वीसाकी तरह पूजनादि करनेमें कोई आपत्ति न होनी चाहिए। जिनके आचरणमें किसी प्रकारका दोष नहीं उन्हें पूजनसे रोकना उनकी जड़ है ....बाबाजी महाराजतो उद्योग करते ही होंगे किन्तु आप भी खतौली दस्सा समाजकी अोरसे ऐसा प्रयास करना जिसमें समाजका पतन न हो जाये । मैं तो बहुत ही दुखी इस समाचारसे हूं जो मेरठ आदि प्रान्त के भाई श्वेताम्बर हो रहे हैं।" इसे पाते ही भ्रान्त धर्म ध्वजोंकी अांखे खुली और त्यागमूर्ति बाबाजीकी उपस्थितमें दस्सा भाइयोंका स्थितीकरण हुआ तथा उत्तर भारत को साधर्मी वात्सल्यका मार्ग मिला । ___ स्वर्गीय पं० गोपालदास बरैयाने जैन धर्मपर आक्रमण करने वालोंसे शास्त्रार्थ किये थे किन्तु दूसरी पीढ़ी उसे न निभा सकी । फलतः आर्य समाजियों के आक्रमण और बढ़े । इसी समय जैन समाज के भाग्यसे अभिनव जैन शंकराचार्य (पं०राजेन्द्रकुमारजी ) अपने साथ संघ (दि. जैन शास्त्रार्थ संघ) लिये समाजके सामने आये । सन्, ३३ में खतौलीपर वार हुअा और सौभाग्यसे वर्णीजीके नायकत्वमें पं० राजेन्द्रकुमारजीने ऐसा मारा कि कितने ही शास्त्रार्थों आर्य समाजियोंको ही वैदिक धर्मको समझकर माननेकी सूझी। पानी पड़नेपर जब विपक्षके विद्वानोंने शास्त्रार्थ सभा स्थगित करानी चाही तब "कैसा विराम, कैसा विश्राम, शास्त्रार्थ चाहिए, शास्त्रार्थ लीजिये" शब्द वर्णीजीके मुखसे सुनकर वे चकित रह गये और समझे कि जैन धर्म में कैसा तपोबल है। __ संम्भव नहीं कि हम बाबा-वर्णी के पूरे उपकारांका स्मरण भी कर सकें । इतना ही जानते हैं कि वे खतौलीकी अांखें थे, हैं और रहेंगे । त्यागमूर्ति बाबाजीकी तो अबपुण्यस्मृति ही पथप्रदर्शन करती है, किन्तु समाजके पुण्य प्रताप से वर्णीजी आज भी हमारे मसीहा हैं । वे चिरायु हों और हमारा मार्ग दर्शन करते रहें । महादेवी खतौली ] बाबूलाल जैन उनसठ
SR No.012085
Book TitleVarni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKhushalchandra Gorawala
PublisherVarni Hirak Jayanti Mahotsav Samiti
Publication Year1950
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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