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वर्णी- अभिनन्दन ग्रन्थ
एक दिन जब संध्या समय स्कूल से लौटा तो उसकी लड़की घर पर खड़ी हुई मिली । बोली-मालिक ये आपके रुपये हैं ।'
मैंने रुपये वापिस कर दिये ।
मैं सोचता हूं, हम बुद्धिजीवी लोग अपने और ग्रामीण जनताकी बीचकी बढ़ती हुई खाईको पाटनेका प्रयत्न कब करेंगे? इन गरीब किसान मजदूरों की ओर हमारे नेताओं और शासकों का ध्यान कब जायगा ? खुद ग्राम निवासीयों एक दूसरे की मदद करना कब सीखेंगे ? और जिस ग्राम संगठनकी बात हम बहुत दिनों से सुनते आ रहे हैं वह कब शुरू होगा ?
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