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________________ वर्णी-अभिनन्दन ग्रन्थ उपलब्ध हैं । इसके सिवा दण्डीके काव्यादर्शपर त्रिभुवनचन्द्रकृत टीका पायी जाती है और रुद्रटके काव्यालंकार पर नेमिसाधु ( ११२५ वि० सं० ) के टिप्पण भी सारपूर्ण हैं । नाटक नाटकीय साहित्य सृजनमें भी जैन साहित्यकारोंने अपनी प्रतिभाका उपयोग किया है । उभयभाषा-कविचक्रवर्ती हस्तिमल्ल ( १३ वीं श० ) के विक्रान्तकौरव ( जयकुमार - सुलोचना ), सुभद्राहरण, मैथिलीकल्याण, और अञ्जनापवनज्जय उल्लेखनीय नाटक हैं । आादिके दो नाटक महाभारतीय कथा के आधार पर रचे गये हैं और उत्तरके दो रामकथा के आधार पर । हेमचन्द्र श्राचार्य के शिष्य रामचन्द्रसूरिके अनेक नाटक उपलब्ध हैं। जिसमें नलविवाह, सत्य हरिश्चन्द्र, कौमुदीमित्रानन्द, राघवाभ्युदय, निर्भयभीमव्यायोग, श्रादि नाटक बहुत ही प्रसिद्ध हैं । श्रीकृष्ण मिश्र के 'प्रबोधचन्द्रोदय' की पद्धति पर रूपकात्मक ( Allegorical ) शैली में लिखा गया यशपाल ( १३ वीं सदी) का मोहराजपराजय एक सुप्रसिद्ध नाटक है। इसी शैलीमें लिखे गये वादिचन्द्रसूरिकृत ज्ञानसूर्योदय तथा यशश्चन्द्रकृत मुदित- कुमुदचन्द्र असाम्प्रदायिक नाटक हैं । इनके अतिरिक्त जयसिंहका हम्मीरमदमर्दन नामक एक ऐतिहासिक नाटक भी उपलब्ध है । काव्य- जैन काव्य - साहित्य भी अपने ढंगका निराला है। काव्य - साहित्य से हमारा श्राशय गद्यकाव्य, महाकाव्य, चरितकाव्य, चम्पूकाव्य, चित्रकाव्य और दूतकाव्योंसे हैं। गद्यकाव्य में धनपालकी तिलकमञ्जरी ( ९७० ई० ) और श्रोयडदेव ( वादीभसिंह ११ वीं सदी ) की गद्यचिन्तामणि महाकवि बाणकृत कादम्बरी के जोड़की रचनाएं हैं। महाकाव्य में हरिचन्द्रका धर्मशर्माभ्युदय, वीरनन्दि का चन्द्रप्रभचरित श्रभयदेवका जयन्तविजय, श्रद्दासका मुनिसुव्रतकाव्य, वादिराजका पार्श्वनाथचरित, वाग्भटका नेमिनिर्वाणकाव्य, मुनिचन्द्रका शान्तिनाथचरित और महासेनका प्रद्युम्नचरित, श्रादि उत्कृष्ट कोटिके महाकाव्य तथा काव्य हैं । चरितकाव्य में जटासिंहनन्दिका वराङ्गचरित, रायमल्लका जम्बूस्वामीचरित, प्रसंग कविका महावीरचरित, आदि उत्तम चरितकाव्य माने जाते हैं । चम्पूकाव्य में श्राचार्य सोमदेवका यशस्तिलकचम्पू ( वि० १०१६ ) बहुत ही ख्यातिप्राप्त रचना है । अनेक विद्वानोंके विचारमें उपलब्ध संस्कृत साहित्य में इसके जोड़का एक भी चम्पूकाव्य नहीं है । हरिश्चन्द्र महाकविका जीवन्धरचम्पू तथा श्रर्हासका पुरुदेव चम्पू ( १३ वीं शती) भी उच्च कोटिकी ३१४
SR No.012085
Book TitleVarni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKhushalchandra Gorawala
PublisherVarni Hirak Jayanti Mahotsav Samiti
Publication Year1950
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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