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________________ कौल धर्मका परिचय दुठ्ठा कट्ठा बिट्ठा झुट्ठा णिदिया मोक्खमगा। अक्खे सुक्खे अग्गे दुक्खे णिभरं दिगणचित्ता णेरइ याणं दुक्खट्टाणं तस्स सिम्सा पउत्ता ॥ मज्जे धम्मो मंसे धम्मो जीय हिसाई धम्मो राई देवो दोसी देवो माया सुराणं वि देवो । रत्ता मत्ता कंता सत्ता जे गुरु वि पुजा हा हा कट्टणट्टो लोश्रो अट्टमट्ट कुणंतो॥ धूय मायरि वहिणि अण्णा वि पुत्तस्थिणि श्रायति य वासवयणु पयडे वि विप्पे । जह रमिय कामाउरेण वेयगव्वे उप्पण दप्पे । वंभणि छिपिणि डोंवि णडि य वरुडि रज्जइ चम्मारि कवले समइ समागइ य भुत्तिम परणारि । जसहरचरिऊका वर्णन-- श्री पुष्पदन्ताचार्यके 'जसहरचरिऊ'१ ( यशोधरचरित ) के मूल में श्रीगन्धर्व (१३०८ ई०) द्वाराबादमें सम्मिलित कर दिये गये अंशोंमें भी कौलाचार्यका चमत्कार-पूर्ण वर्णन मिलता है। कौलाचार्य के शरीरका वर्णन भी रुचिकर है । जैसा कि भैरव नामसे स्पष्ट है उनका साधारण आकार प्रकार भीषण होता है । वह शिरपर रंग विरंगी टोपी पहिनते हैं जो दोनों कानोंको ढके रहती है हाथमें बत्तीस अंगुल लम्बा दण्ड रहता है जिसे पकड़नेका उनका प्रकार बड़ा विचित्र है। गलेमें योगपट्ट पहिनते हैं, अद्भुत रूपसे सुसजित रहते हैं, पैरोंमें लकड़ीकी खड़ाऊं पहिने रहते हैं तथा सुन्दर टोंटी दार पतली अावाजका बाजा (संग) लिये रहते हैं । उनके अन्य गुणोंका विवेचन करते लिखा है--वह कपटी तथा क्रूर होता है; जोरसे चिल्लाता हुआ वह द्वार, द्वार भोजन मांगता फिरता है । वह लोगोंको अपने सम्प्रदायमें दीक्षित करता है। वह इन्द्रिय भोगोंमें श्रासक्त होता है और कुछ भी खा सकता है । वह अपनेको अज तथा चिरञ्जीवि कहता है तथा चारों युगोंकी समस्त घटनाओं का साक्षात्-दृष्टा कह कर उन्हें गिनाना प्रारम्भ कर देता है । वह अपने आपको अद्भुत शक्ति सम्पन्न कहता है; वह सबको शान्त रख सकता है, वह सूर्यकी गति रोक सकता है, चन्द्रिकाको बीचमें ही ढक सकता है, वह विविध विद्य। तथा मंत्रोंका प्रभु है । वह महा शक्तिशाली पुरुष है जो कि सब कुछ कर सकता है । सम्बद्ध पंक्तियां निम्न प्रकार हैं२ -- १, कारा जैन ग्रन्थमालामें श्रीवैद्य द्वारा सम्पादित सस्करण ( १९३१ ) भूमिका पृ० १७ तथा मूल ६, आदि । २. जसहरचरिऊ प्र० ५, २०-६, १५, ६, २८-७, ३ । २७ २०९
SR No.012085
Book TitleVarni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKhushalchandra Gorawala
PublisherVarni Hirak Jayanti Mahotsav Samiti
Publication Year1950
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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