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________________ स्मृतियों के वातायन से समन्वयात्मक दृष्टि के विश्वविख्यात विद्वान अभिनन्दन समिति ने आप जैसे विश्व विख्यात, सत्यनिष्ठ प्राध्यापक, समाज एवं जैन संस्कृति के संरक्षक तथा सम्पादक के गरिमामय पद रूप में पाकर जो समारोह एवं ग्रंथ प्रकाशन का निर्णय किया है वह सभी के लिए हार्दिक उल्लास एवं प्रसन्नता की बात है। प्रायः सभी दिशाओं में उच्चतम पहुँच के साथ ही आपकी समन्वयात्मक दृष्टि हमें यही पाठ सिखाती हैसत्य स्वयं की है जो कसौटी, नहीं चाहती अन्य परस को । स्वर्ण शुद्धतम से भी शुद्धतर, नहीं मांजना अतिकर उसको ॥ इस शुभ अवसर पर अपने मंतस्तः से स्नेहरंजित एवं भावभीनी शुभकामनाएँ भेज रहा हूँ कि आप शतायु से भी अधिक आयु, स्वास्थ्य एवं समृद्धि की चरम सीमा पार करें। डॉ. एल. सी. जैन (जबलपुर) 40 प्रबुद्ध एवं यशस्वी पुरुष आप देश के प्रबुद्ध एवं यशस्वी पुरूष हैं आपने अपनी कर्त्तव्य भावना, सेवानिष्ठा एवं अवदान से न केवल अपनी भूमि को ही वरन् पूरे भारत देश के विद्वानों का गौरव बढ़ाया है। आपका स्वभाव सरल एवं व्यक्तित्व गुणों से भरपूर है। जैन समाज को आपको सामाजिक एवं धार्मिक सेवाएँ विगत कई वर्षों से प्राप्त हो रही हैं। आप अपने व्यस्त जीवन में से सामाजिक एवं धार्मिक कार्यों में अग्रगण्य रहते हुए अपनी महत्वपूर्ण सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं। आपकी उल्लेखनीय सेवाओं एवं जैन धर्म के शाश्वत सिद्धांतों का पालन करने के उपलक्ष्य में सन् 2005 का गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी के पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। आप सरल स्वभाव के प्रज्ञापुरूष है। आपका मानस मैत्री, सहानुभूति और दया से ओतप्रोत है। सकल जैन समाज को आपके सृजनशील रचनात्मक कार्यों पर गर्व है। आप समाज के आन, बान और शान हैं। आपने जिनशासन की प्रसन्नता में चार चाँद लगाए हैं। आप दीर्घायु, स्वस्थ एवं सुखी रहें, इसी मंगलभावना के साथ मैं एवं मेरी पत्नि डॉ. जयंती जैन आपको हार्दिक शुभकामनाएँ प्रेषित कर रहे हैं। प्रो. बिमलकुमार जैन एवं डॉ. जयंती जैन (सागर) 1 बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी प्रवचनमणि, वाणी भूषण, विद्यावारिधि, गुजरात के महामहिम राज्यपाल द्वारा अभिनंदित, जैन धर्म दर्शन के प्रकांड विद्वान, लेखक, समीक्षक कुशल संपादक, कर्मठ समाजसेवी, देश-विदेश में ख्याति प्राप्त, स्पष्ट वक्ता, डॉ. शेखरचंद जैन के अभिनंदन ग्रंथ के प्रकाशन का निर्णय प्रशंसनीय है। 'णमोकार मंत्र ध्यान शिविर' जैन धर्म के विद्वान एवं प्रवचनकार द्वारा सफल प्रयोग कर उन्होंने पर्युषण प्रवचन एवं दशलक्षण धर्म साधना को नई दिशा दी है। जैन धर्म का प्रचार जैन - जैनेतर तक पहुंचे, धर्मसेवा का माध्यम बने - इस उद्देश्य से आपने समन्वय ध्यान साधना केन्द्र की स्थापना की। इसमें सभी धर्मों और वर्गों का सहयोग लेकर एक सर्व सुविधायुक्त चिकित्सा केन्द्र जिसमें एक छत के नीचे विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों की स्थापना कर रोगियों को एक अनूटी इलाज की सुविधा ! उपलब्ध कराई है। 1
SR No.012084
Book TitleShekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
PublisherShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publication Year2007
Total Pages580
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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