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साल का
1316 | विभाजित करने पर दूसरी एकांशक भिन्न का हर मिलता है। यथा
1 hr poor
दूसरा नियम इस प्रकार है। दी हुई भिन्न के हर को निःशेष भाजक और प्राप्त लब्धि को अलग-अलग इनके । योग से गुणा करने पर दोनों एकांशक भिन्नों की हरें प्राप्त होती हैं। यथा
ab= alab) baby (6) किसी दी हुई भिन्न को अन्य दी भिन्नों के योग के रूप में व्यंजित करना जबकि उन दोनों भिन्नों के अंश दिये हुये हों। ___ इसके लिये नियम इस प्रकार है। एक भिन्न के अंश को किसी उपयुक्त कल्पित संख्या से गुणा करके
गुणनफल में दूसरी भिन्न का अंश जोड़ दो। इस प्रकार प्राप्त योग को दी हुई भिन्न के अंश से निःशेष भाग कर | दो। लब्धि को कल्पित संख्या से भाग करो और इस प्रकार जो लब्धस्वरूप आवे उसे दी हुई भिन्न के हर से गुणा । करो। यही गुणनफल पहली अभीष्ट भिन्न का हर है। इस प्रकार इस हर को कल्पित संख्या से गुणा करने पर जो | मिलेगा वह दूसरी भिन्न का हर होता है। यथा
h
* = तमाम - (स्क
mr
mr
इसका एक विशिष्ट रूप यह है। यदि (k + h) को m से भाग देने पर शेष न बचे तो
m
m (7) किसी दी हुई भिन्न को भिन्नों के सम संख्या के रूप में व्यंजित करना, जबकि उन भिन्नों के अंश दिये हों।16
इसके लिये नियम इस प्रकार है। दी हुई भिन्न को पहले उतनी एकांशक भिन्नों के योग के रूप में रखो जितने कि इष्ट भिन्नों के जोड़े हैं। फिर उन एकांशक भिन्नों से दी हुई भिन्न को दो भिन्नों के योग में रूपान्तरित करने की विधि से इष्ट भिन्नके हरों का साधन करो। भिन्न सम्बन्धी प्रश्न
महावीराचार्य ने भिन्नों पर अनेक प्रश्न बनाये हैं जिन्हें बहुत ही रोचक भाषा में प्रस्तुत किया है उनमें से कुछ उदाहरण के लिये दिये जाते हैं।
(1) एक धान के खेत में जिसका दाना पका हुआ था और बालें बोझ से झुकी जा रही थीं, तोतों का एक झुण्ड उतरा। रखवारों ने उन्हें डराकर उड़ा दिया, उनमें से आधे पूर्व दिशा में चले गये और 1/6 दक्षिण पूर्व की ओर। इन दोनों के अन्तर में से अपना आधा घटाकर जो बच रहे उसमें से फिर उसी का आधा घटाने पर जितने बच रहे, वे दक्षिण दिशा में चले गये। जो दक्षिण में गये और जो दक्षिण पूर्व में उड़े उनके अन्तर में से उसी का 2/5 घटाने से जितने शेष रहे वे दक्षिण पश्चिम में गये। जितने दक्षिण गये और दक्षिण-पश्चिम में गये उनका अन्तर पश्चिम दिशा में गये। पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम दिशा में जाने वाले तोतों की संख्या के अन्तर में उसी