SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 35
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 12 स्मृतियों के वातायन से पं. डॉ. शेखरचन्द्र जैन का परिचय मुझे अहमदाबाद वर्षावास में आयोजित शास्त्र - गोष्ठी में हुआ । संगोष्ठि में शोधपत्रों की प्रस्तुति थी । डॉ. शेखरचन्द्र जैन इस युग के अपने आप में एक अद्वितीय विद्वान हैं। जिन्होंने जीवन में अनेक सामाजिक, पारिवारिक, धार्मिक क्रान्ति की है। जिनका अभिनंदन ग्रंथ शोध वाचन के समय अनेक प्रश्न उपस्थित होते ही थे। उसी समाजसेवा, समन्वय और धर्म भावना के रूप में उन प्रश्नों पर विद्वान चर्चा करते थे । मैं सूक्ष्मता से देख रहा था कि चर्चा के अंतर्गत शास्त्रीय विषयों पर पं. डॉ. शेखरचन्द्र जैन जी जो तथ्य प्रस्तुत करते थे वे बहुत कुछ समाधानपरक और शास्त्र सम्मत होते थे। चर्चाओं के मध्य उनकी विद्वत्ता की झलक मैंने स्पष्ट देखी थी। प्रकाशित हो रहा है। मुझे विश्वास है कि यह जैन समाज के लिए मार्गदर्शक बनेगा । इस ग्रंथ के प्रकाशन द्वारा मैं मानता हूँ कि यह ग्रन्थ विद्वानों का समाज की ओर से उत्तम सन्मानका प्रतीक बनेगा। जैन संस्कृति में ऐसे विद्वानों का होना परमावश्यक है जिससे जैन समाज में परिवर्तन एवं सुसंस्कार का प्रचार हो सकेगा। मैं स्पष्ट मानता हूँ कि समाज को विद्वानों का सन्मान करके उऋण होना चाहिए, और उनका संरक्षण करते हुए तन-मन-धन से सहयोग करना चाहिए। जिसप्रकार हम रत्न की सुरक्षा बड़े ही यत्न पंडितजी जैन शास्त्रीय ज्ञान के श्रेष्ठ स्वाध्यायी, उद्भटू विद्धान् और उच्च रचनाकार हैं। साहित्य सृजन, सेवा और प्रचार के कार्य में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। मैं उनके मंगलमय दीर्घ जीवन की शुभकामना करता हूँ। से करते हैं उसी तरह विद्वान् जो समाज का रत्न होता है 'श्रमण संघ हो अविचल मंगल' उसकी सुरक्षा भी करनी चाहिए। मैं इस अवसर पर प्रकाशित इस अभिनंदन ग्रंथ के लिए अपना आशिर्वाद प्रेषित करता हूँ और डॉ. शेखरचन्द्रजी को यह शुभाशीष देता हूँ कि वे स्वस्थ, दिर्घायु प्राप्त कर समाजसेवा और जैन एकता के लिए निरंतर कार्य करते रहें । सौभाग्य मुनि 'कुमुद' महामंत्री, श्रमण संघ आ. गुणधरनंदी नवग्रह तीर्थ, वरुर (कर्णाटक)
SR No.012084
Book TitleShekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
PublisherShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publication Year2007
Total Pages580
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy