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मतियों के वातायन
गुजरात की जैन पुरातत्त्व सम्पदा
श्री ज्ञानमल शाह गुर्जर, जिसे सुराष्ट्र भी कहा जाता था और जिसमें काठियावाड़ सम्मिलित है, मालवा की भाँति ही समृद्ध, सुरम्य और उर्वर प्रदेश रहा है। समुद्र तट के निकट होने के कारण विदेशों के साथ समुद्री व्यापार का भी यह प्रमुख द्वार रहा है। गुजरात से आशय सुराष्ट्रकाठियावाड़ से युक्त पश्चिमी समुद्रतटवर्ती सम्पूर्ण देश से है। गिरनार इसी गुजरात प्रदेश में अवस्थित है। यह गुजरात जैनधर्म का केन्द्र रहा है। गुजरात के इतिहास में गिरनार का इतिहास समाविष्ट है।
गुजरात का इतिहास - हैबट ने गुजरात के इतिहास को ईस्वी सन् से छह हजार वर्ष पूर्व तक आंका है। मिस्र देश में जो कब्र खोदी गई हैं ईस्वी सन से सत्रह सौ वर्ष पहले की है। उनमें भारतीय तंजेब और नील पाई गई है। ईस्वी सन् से चार हजार वर्ष पहले तक भारत और यूक्रेटीज नदी के मुख तक के देश से व्यापार होता था। द्रविड़, भाषा बोलने वाले सुमेरी लोगों का संबंध सिनाई और मिस्र से था जिनका संबंध पश्चिमी भारत से छह हजार वर्ष ई. के पूर्व से था।
गुजरात में सन ई.पूर्व ३०० से १०० वर्ष ई. तक समुद्र द्वारा यूनानी वैक्टोरिया वाले, पार्थियन, और स्कैथियन आते रहे। सन् ६०० से ८०० तक पारसी और अरब आये। सन् ९०० से १२०० तक संगानम लुटेरे, सन् १५०० से १६०० तक पुर्तगाल
और तुर्क, सन् १६०० से १८०० तक अरब, अफ्रीकन, आरमीनियम, फ्रांसीसी, सन् । १७५० से १८२१ तक ब्रिटिश आए।
इसी गुजरात में थल मार्ग द्वारा ई.से. २०० वर्ष पूर्व से ५०० तक स्कैथियन और । हूण, सन् ५०० से ६०० तक गुर्जर, सन् ६५० से ९०० तक पूर्वीय जादव और काथी, सन् ११०० से १२०० तक अफगान और मुगल आये। ___ यहाँ ई. से १०० वर्ष पूर्व से ३०० तक क्षत्रप और अर्धस्कैवियन, ३०० में गुप्त लोग, सन् ४०० से ६०० तक गुर्जर, सन् १५३० तक मुगल, सन् १७५० में मराठा रहे। ___ दक्षिण से सन् १०० में शातकर्णी, ६५० से ९५० में चालुक्य और राष्ट्रकृत आए। यह है गुजरात का इतिहास।