SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 235
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 200 परिवार से रूबरू साक्षात्कार द्वारा श्री विनोदभाई हर्ष एवं श्रीमती इन्दुबेन शाह प्रमुख नेताओं का, बहुआयामी व्यक्तित्व का सम्मान तो होता रहता है । किन्तु जिनके त्याग के बलबूते पर नेता और बहुआयामी व्यक्तित्व का उद्भव होता है उस परिवार के ! सदस्यों का, जिन्होने बेग और नास्ता तैयार किया, औषधि चाय करते समय से ही उपस्थिति - अनुपस्थिति में जिनका कार्यभार सम्हाला और स्वास्थ्य की चिंता से जो सतत चिंतित रहते हैं, ऐसे परिवार के सदस्यों को कैसे भूला जाय? अट्टालिका के स्वर्णकलश की जगमगाहट को हम देखते हैं और नींव के पत्थर को याद तक नहीं करते जिनके त्याग । - पर स्वर्ण कलश दमकता है। इसी भावना से प्रेरित होकर मैं और मेरी श्रीमती इन्दु वी. ! शाह दिनांक 18-11-06 को डॉ. शेखरचन्द्रजी के घर गये। प्रस्तुत है उनके परिवार के सदस्यों के साथ हुई बातचीत के अंश । श्रीमती आशादेवीजी (धर्मपत्नी डॉ. शेखरचन्द्रजी जैन) प्रश्न श्रीमती आशादेवीजी आपके पति डॉ. शेखरचन्द्रजी जैन को इतने सम्मान - पुरस्कार प्राप्त हुए हैं और अब उनका अभिनंदन होने जा रहा है यह सब जानकर आपको ! क्या महसूस होता है?
SR No.012084
Book TitleShekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
PublisherShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publication Year2007
Total Pages580
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy