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________________ Jain Educationa International ६४८ ] गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती अभिवन्दन ग्रन्थ स्वागतयात्रा व सभा के बाद इक खंडहर किला दिखाया था । जो कभी खान अफ़जल ने आकर शेरकोट में बनाया था | आगे के ग्राम "नगीना' में एस.डी.एम. डी. एन. वर्मा ने । उद्घाटन किया तथा अध्यक्ष बने विरेन्द्र लाहोटी थे ॥ ६० ॥ कुछ दूर यहाँ से पार्श्वनाथ नामक प्राचीन किला भी है। प्रतिमाएं कई मिलीं यहाँ से ऐसा इसका इतिहास भी है ॥ लगता है यहाँ खुदाई में प्रतिमा अनेक मिल सकती है। प्राचीन जैन संस्कृति उससे कुछ वृद्धिंगत हो सकती है ॥ ६१ ॥ कोरतपुर में श्री जिलाधीश दर्शन सिंह वैश्य पधारे थे श्रेयांस जैन शास्त्री यहाँ के विद्वान भी बने हमारे थे। बिजनौर से भी आए रमेशचंद एवं जिलाधीशजी का । भाषण हो गया तथा प्रवचन भी हुआ ज्योति संचालक का ॥ ६२ ॥ महावीर बाल विद्यामंदिर बिजनौर के बच्चों ने आकर । सबके मन को आकृष्ट किया सुन्दर कार्यक्रम दिखलाकर ॥ शोभायात्रा भी शानदार हो गई नगर में धूम मची। बैनर, तोरणद्वारों, बन्दनवारों से नगरी खूब सजी ॥ ६३ ॥ आगे के नजीबाबाद शहर में नगर विधायक कुंवर सिंह। आचार्य रामनारायण से रथ पर बनवाया स्वस्ति चिह्न ॥ रविवार सात अप्रैल पचासी को घर-घर में दीप जले । रथ स्वागत कर सबने सोचा जल्दी ही जम्बूद्वीप चलें ॥ ६४ ॥ साहू परिवार पुराना इसी नजीबाबाद में रहता था । यह परिचय आज भी उनके कुछ परिवारजनों से मिलता था ॥ डिग्री कालेज है साहु जैन का तथा कई संस्थाएं हैं। सब संस्थाओं के अधिकारी ज्योती स्वागत को आए हैं ॥ ६५ ॥ नहटौर, धामपुर, स्योहारा से जिला मुजफ्फरनगर चली। तावली, शाहपुर, चरथावल से कुटेसरा में ज्योति जली ॥ राजी में बिजली फौव्वारों का दृश्य मनोरम दिखता था। हर गाँव शहर में नया नया उत्साह सभी में मिलता था ॥ ६६ ॥ बारह नहटौर से चार किलोमीटर पर वृषभदेव की प्रतिमा है। भूगर्भ से निकली इसीलिए इस अतिशय क्षेत्र की महिमा है। यहाँ गंगनदी से पाँच बलपति की प्रतिमाएं प्राप्त हुई। उत्तर पश्चिमी इलाके में ये जिन प्रतिमाएं ख्यात हुई ॥ ६७ ॥ अप्रैल बुढ़ाना में जब ज्ञानज्योति आगमन हुआ। दो सहस वर्ष प्राचीन मूर्ति श्री पार्श्वनाथ को नमन किया ॥ जौला में ज्ञानज्योति माध्यम से जैनधर्म जयकार हुआ। अतिशययुत चन्द्रप्रभ प्रतिमा का दर्शन भी साकार हुआ ॥ ६८ ॥ आगे के नगर खतौली में ब्रहाचारी मोतीचंद पहुंचे। इस ज्योति प्रवर्तन के कतिपय संस्मरण सुनाये थे उनने ॥ For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012075
Book TitleAryikaratna Gyanmati Abhivandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1992
Total Pages822
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size26 MB
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