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वीर ज्ञानोदय ग्रन्थमाला
आगे फिर अम्बेहटा, रामपुर मनिहारन में जज आए । दिल्ली न्यायालय से रमेशचंद जैन ज्योति लख हर्षाए ॥ ५० ॥
रुड़की, झबरेड़ा और ननौता, पुरकाजी का क्रम आया।
फिर शहर मुजफरनगर में मैंने ज्ञानज्योति रथ को पाया ॥
श्री जे.वी. श्रीवास्तव जिलाधिकारी ने स्वस्तिक बना दिया। स्वागत मण्डप में हम सबने उद्देश्य ज्योति के बता दिया ॥ ५१ ॥
श्रेष्ठी श्री गुलशनराय ने ज्योतीरथ को साधुवाद दिया । श्री जिलाधिकारीजी ने निज सहयोग हेतु आश्वस्त किया || माँ ज्ञानमती की अमरकृती को सभी देखने निकल पड़े। हस्तिनापुरी की रचना हेतू अर्थाञ्जलि ले स्वयं बढ़े ॥ ५२ ॥
पुरवालियान मंसूरपुर से दादरी सकौती में स्वागत ।
प्लानिंग आफीसर के.सी. जैन ने किया सलावा में स्वागत | रारधना से इकतिस मार्च पचासी को ज्योती सरधना गई। वहाँ विस्तृत जनसमुदाय बीच में अच्छी स्वागत सभा हुई ॥ ५३ ॥
संसद सदस्य श्री जे. के. जैन आये विशिष्ट अतिथी बनकर । लम्बे अरसे के बाद प्रसन्न हुए अपनी ज्योती लख कर ॥ उद्योगमंत्र आरिफ मोहम्मद खान भी स्वागत को आए । श्री जे.के. जैन ने उन्हें प्रवर्तन के रहस्य थे बतलाए ॥ ५४ ॥
सांस्कृतिक अनेकों कार्यक्रम के संग शोभायात्रा निकली। जानसठ में श्री कोतवाल साहब वर्मा ने भी आरति कर ली ॥
मीरापुर, ककरौली, कबाल अप्रैल तीन बिजनौर शहर ।
आया था ज्ञानज्योति का रथ महावीर जयन्ती अवसर पर ॥ ५५ ॥
डॉक्टर रमेशचंद जैन दर्शनाचार्य यहाँ पर रहते हैं।
इस महामहोत्सव में आकर सबको संबोधित करते हैं।
वे बोले माता ज्ञानमती की प्रतिभाशक्ती पहचानो । उनकी वाणी से वीरप्रभू के संदेशों को भी जानो ॥ ५६ ॥
यहाँ जैन जिलाजज श्री सुरेन्द्रजी मुख्य अतिथि बनकर आए। श्री बालकृष्ण खन्ना एडवोकेट सभाध्यक्ष पद को पाए ॥
डॉक्टर श्री जयकुमारजी डाक्टर प्रेमचंद ने भी आकर। बतलाया हम सब धन्य हुए इस ज्ञानज्योति रथ को पाकर ॥ ५७ ॥
मैंने भी यहाँ पहुँचकर कृत्रिम समवशरण अतिशय देखा। शोभायात्रा में नगरी को दुल्हन सम सजी धजी देखा ॥ यहाँ चन्द्रप्रभ जिनमंदिर में इक महावीर की प्रतिमा है।
निकटस्थ ग्राम प्राचीन किले से प्राप्त हुई यह प्रतिमा है ॥ ५८ ॥
फिर शेरकोट के पार्श्वनाथ मंदिर में स्वागत सभा हुई। प्राचीन शास्त्र भण्डार मिला जहाँ हस्तलिखित प्रति भरी हुई ॥ अफ़जलगढ़ में महमूद अली अन्सारी एम. एल. ए. आए। माँ ज्ञानमतीजी द्वारा प्रेरित रथ को पाकर हर्षाए ॥ ५९ ॥
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