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शिवसागर (आसाम) में ग्रामीण विकास राज्यमंत्री श्री अंटकेश्वर डिहींगिया एवं सभाध्यक्ष श्री एस. आर. खेमका, ब्र. रवीन्द्र कुमार जैन के साथ में।
गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती अभिवन्दन ग्रन्थ
झरने तथा घाटियों के मनोरम दृश्य
रामीण विकास मंत्री द्वारा ज्ञानज्योति का स्वागत
शिवसागर नगर में विद्यालय में हुई जनसभा में ग्रामीण विकास मंत्री श्री टंकेश्वर डिहींगिया ने ज्ञानज्योति का स्वागत किया तथा विशाल जनसभा को संबोधित किया। पुनः जोरहाट, मरियानी, डेरगांव, बोकाखात, गोलाघाट को प्रकाशित करती हुई ज्योतियात्रा नागालैंड में प्रवेश करती है।
आगे केले के पत्तों के सुन्दर तोरणद्वारों का सुन्दर दृश्य तथा प्रत्येक घरों के समक्ष सुन्दर मंगल कुंभों पर जलते दीपक नगर की शोभा में चार चांद लगा रहे थे । यहाँ के निवासी श्री चैनरूपजी बाकलीवाल, राजकुमारजी सेठी, पन्नालाल सेठी आदि महानुभावों के विशेष सहयोग से बोलियों में तो नहीं, किन्तु कमरे निर्माण हेतु स्वीकृतियां प्रदान कर डीमापुर ने अन्य शहरों को भी अर्थाञ्जलि में पीछे छोड़ दिया ।
ज्योति प्रवर्तन में पं. सुधर्मचन्दजी शास्त्री, श्री मोतीचंदजी, रवीन्द्र कुमारजी तथा कु. मालती एवं कु. माधुरी द्वारा भी जनता को जम्बूद्वीप, हस्तिनापुर, ज्ञानमती माताजी तथा ज्ञानज्योति की विस्तृत जानकारियाँ प्राप्त हुईं। ज्योति प्रवर्तन से सबसे बड़ा लाभ अहिंसा और धर्म सहिष्णुता के प्रचार का हुआ है। आसाम की साधारण जनता धर्म ज्ञान से सर्वथा शून्य होने के कारण वहाँ हिंसा अधिक मात्रा में दृष्टिगत होती है। ज्योति प्रवर्तन के द्वारा लोगों में अहिंसा की भावनाएं जापत हुई। अनेकों स्थानों पर लोगों ने व्यक्तिगत तथा सामूहिक रूप में हिंसा के धंधे का त्याग किया। यह इस प्रवर्तन की मैं अप्रतिम सफलता मानती हूँ ।
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मंत्री महोदय ने भी दान दिया
डीमापुर में प्रान्तीय वित्तमंत्री श्री टी.ए. नुली ने भी ज्ञानज्योति के व्यापक उद्देश्यों से प्रभावित होकर गुप्तदान में ५००१ रुपये की राशि अर्पित की तथा विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए ज्ञानज्योति को महान् यज्ञ की उपमा दी और कहा कि इसके भ्रमण से देशवासियों को असीम शांति की प्राप्ति हो रही है।
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ज्ञानज्योति डीमापुर में
डीमापुर नागालैंड की राजधानी मानी जाती है। यहाँ पर भी बहुमात्रा में जैन घर है। मंदिर सुंदर एवं कलात्मक है। २४ अक्टूबर, १९८४ दीपावली पर्व में यहाँ ज्ञानज्योति और निर्वाणज्योति दोनों के द्वारा पूरे शहर में अपूर्व प्रकाश की लहर दौड़ गई । घर-घर में बिजली की झालरें लटक रही थीं। हर घर के
डीमापुर से मणिपुर इम्फाल का लम्बा रास्ता तय करना होता है। यह मणिपुर एक अलग ही स्टेट है जो कि विदेशी सीमा वर्मा के बार्डर के समीपस्थ है। डीमापुर से मणिपुर के लिए एयरलाइन्स के साधन भी नहीं है, अतः ७-८ घंटे की यात्रा तय करके सड़क मार्ग से ही वहाँ पहुँचना होता है। इस यात्रा के मध्य गोल-गोल चक्करदार रास्तों में हम सभी लोग ज्योतिरथ में बैठे हुए उन प्राकृतिक दृश्यों को देख रहे थे। पहाड़ों से बहते हुए जल के स्वच्छ झरने तथा हरियाली से परिपूर्ण खेतों के मनोरम दृश्य इस यात्रा को सुखद बना रहे थे। इसी बीच एक झरने के पास रुक कर हम सभी लोगों ने भोजन किया और झरने का ठंडा जल पिया ।
ज्ञानज्योति के सम्पूर्ण भारत भ्रमण के मध्य यह आसाम भ्रमण में प्रथम अवसर था कि जब हम चारों लोग (मोतीचंद, रवीन्द्र, मालती, माधुरी) एक साथ ज्योति प्रवर्तन में भ्रमण कर रहे थे। इसका मुख्य कारण था कि आसामवासियों का विशेष आमंत्रण तथा हम लोगों के दिल में भी प्रान्त देखने की इच्छा से यह विशेष संयोग बना। खैर! उस आठ घंटे की यात्रा के पश्चात् इम्फाल में ज्योति का प्रवेश रात्रि ८.३० हुआ और अगले दिन २६ अक्टूबर को प्रातः काल सभा का आयोजन हुआ।
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आसाम के मुख्यमंत्री तथा स्वास्थ्यमंत्री आए
जैसा कि हर प्रान्त में राजनेताओं द्वारा ज्योति का भावभीना स्वागत हुआ। उसी श्रृंखला में यहाँ भी मुख्यमंत्री श्री रिसांगक्रेसिंग तथा स्वास्थ्य मंत्री श्री राधा विनोदजी सपत्नीक पधारे। सर्वप्रथम कु. मालती शास्त्री के मंगलाचरण से सभा का शुभारम्भ हुआ। मंत्री महोदय ने मणिपुरी भाषा में ज्ञानज्योति तथा भगवान महावीर के संदेशों के बारे में बतलाया कि ये सिद्धान्त हर मानव के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।
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