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वीर ज्ञानोदय ग्रन्थमाला
गुजरी, धामनोद, महेश्वर, मंडलेश्वर में भी ज्योति जली। खरगोन जिले के बालसमुन्द के बाद धार की ओर चली॥ बड़वानी तीर्थक्षेत्र पर एक जून चौरासी रथ पहुँचा। बावन गज ऊँची आदिनाथ प्रतिमा का है इतिहास जहाँ ॥ ३३ ॥
आष्टा, इच्छावर आदि अनेकों नगरों में परिभ्रमण हुआ। नौ जून सिहोर नगर में इस ज्योतीरथ का आगमन हुआ ॥ श्री शिवभानूसिंह सोलंकी उपमुख्यमंत्रिजी ने आकर ।
इस ज्योतीरथ को नमन किया स्वस्तिक भी बनाया था रथ पर ॥ ३४ ॥ अपने ओजस्वी भाषण में मंत्रीजी ने बतलाया था। सब धर्म समन्वय का लक्षण निज भाषा में समझाया था। णमोकार मंत्र जो मूलमंत्र इस जैन धर्म का वाचक है। जन जन का हित करने वाला यह आत्मा का उपकारक है ॥ ३५ ॥
जिनधर्म कथित प्रवचन का इस रथ से था बहुत प्रचार हुआ। मंत्रीजी के इक घंटे तक भाषण से हर्ष अपार हुआ ॥ भोपाल में अर्जुनसिंह मुख्यमंत्री प्रान्तीय पधारे थे।
उद्योगमंत्रि राजेन्द्र जैनजी मुख्यअतिथि भी सारे थे॥ ३६ ॥ मंत्रीजी बोले भारत ही इक ऐसा देश कहाता है। जहाँ धर्म और आध्यात्मिकता का राजनीति से नाता है। हर बच्चा-बच्चा है स्वतंत्र हर धर्म यहाँ रह सकता है। इस सार्वभौम शासन की तो प्राचीन काल से सत्ता है ॥ ३७ ॥
इस ज्ञानज्योति में वर्तमान शासन ने रुचि दिखलाई है। यह धर्म समन्वय का प्रतीक सबको दे रही बधाई है। बेरसिया और सलामतपुर विदिशा नगरी के प्रांगण में।
ओडेर, बहादुरपुर, कुरुवाई से सिरोंज के आंगन में ॥ ३८ ॥ एस.डी.ओ. श्री गुप्ताजी ने आकर सिरोंज में किया नमन। कुरुवाई में स्वागत को आए मजिस्ट्रेट श्री ऋषभ जैन ॥ डाक्टर श्री शिशिरकान्त पांडेजी नगर बहादुरपुर आए। इस ज्ञानज्योति के सम्मुख अपने भाव अहिंसक दर्शाए ॥ ३९ ॥
अब मुंगावली से पुनः मेरा इस यात्रा में आगमन हुआ। मुझ ब्रह्मचारिणी के संग में दो बहनों ने भी' नमन किया । श्रीमतीजी तथा कुमुदनी दोनों ज्योती दर्शन को आई थीं।
ऐसा रथ स्वागत देख-देख वे फूली नहीं समाई थीं ॥ ४० ॥ इस यात्रा मध्य थुवोन, चंदेरी आदि कई तीरथ आए। सेरोन, देवगढ़ और बानपुर के सबने दर्शन पाए । पंद्रह जून से सत्ताइस तक तेरह दिन का यह भ्रमण मेरा। इस मध्य प्रदेश प्रवर्तन में अवसर द्वितीय था यह मेरा ॥ ४१ ॥
श्री सिद्धक्षेत्र सोनागिरि पर ज्योतीरथ दर्शन को आया। गुप्ता श्री मनोहरलाल कलेक्टर साहब ने दर्शन पाया ॥
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