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गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती अभिवन्दन ग्रन्थ
दिल्ली के लालकिले से निकली ज्योति भ्रमण कर रही यहाँ। शहडोल जिले एवं विलासपुर जिले में प्रभु संदेश कहा ॥ फिर जिला रायपुर से विहार कर दुर्ग भिलाई में आई।
मुनि पुष्पदंत सागरजी के सानिध्य में ज्योती जलवाई ॥ ६ ॥ राजनांदगांव से चली ज्योति बैतूल जिले का भाग्य खिला। मुलताई और आमला बैतुल से मुक्तागिरि तीर्थ मिला। यद्यपि मुक्तागिरि सिद्धक्षेत्र को महाराष्ट्र में माना है। बैतूल जिले का यह तीरथ दोनों सीमा ने जाना है॥ ७ ॥
श्री काकू भाई विधायक ने नगरी इटारसी में आकर । पुष्पों की माल चढ़ाई थी जनता का आमंत्रण पाकर ॥ होशंगाबाद जिला रोशन कर रायसेन को चमकाया।
सिलवानी में सरपंच वहीद मियां ने मंगल दिन पाया ॥ ८ ॥ पी.डब्ल्यू.डी. के एस.डी.ओ. ने गैरतगंज के प्रांगण में। इन जैन महोदय ने आकर जैनत्व बताया जन जन में ॥ तामोट, शाहगंज, हरदा और टिमरनी का माहौल जगा। ओवेदुल्लागंज, बानापुर, सुल्तानपुरा का शोक भगा ॥ ९ ॥
नौ मई के बाद खिरकिया से हरसूद नगर में रथ आया। इंदौर के इस संभाग में खण्डवा जिले में खूब आदर पाया ॥ श्री मौर्यसगे एस.डी.ओ. से उद्घाटन रथ का करवाया।
खंडवा में श्रीनिवास बड़जात्या ने ज्योतीरथ चलवाया ॥ १० ॥ क्रम से चलकर खरगोन जिले में ज्ञानज्योति यात्रा आई। श्री गजानंद सोनी व कुमारी स्वर्णलता रावल आईं ॥ श्री स्वर्णलताजी तत्कालीन कलेक्टर बनकर आई थीं। उनने जीवन में प्रथम बार यह मंगल ज्योति जलाई थी॥ ११ ॥
शुभ तीर्थ ऊन के भी दर्शन इस ज्योतीरथ ने पाए थे। लोनारा के बाजारों में ध्वजतोरण आदि सजाए थे। तहसीलदारजी ने उद्घाटन किया ज्योति को जला दिया।
श्री दीप कुमार महाजन ने आकर ज्योतीरथ चला दिया ॥ १२ ॥ बलवन्त राव मंडलोई कसरावद में मुख्य अतिथि आए। कातोरा, पीपलगोन और भोगावां ने दर्शन पाए । बेडियां नगर में प्रातः पंद्रह मई ज्ञान अमृत बरसा। श्रीबाबूलाल ने किया प्रवर्तन जनता का भी मन हरषा ॥ १३ ॥
दोहा
नगर सनावद को चली, ज्ञानज्योति अभिराम। उसका कुछ वर्णन करूँ, लेकर प्रभु का नाम ॥ १४ ॥
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