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________________ वीर ज्ञानोदय ग्रन्थमाला [६१७ ३१ मार्च प्रातः ७ बजे सटई से निकल कर ८.३० बजे छतरपुर में ज्ञानज्योति का पदार्पण हुआ। छतरपुर से ३ कि.मी. दूर डेरापहाड़ी नामक अतिशय क्षेत्र है, जहाँ ३ मंदिर हैं, वहाँ के दर्शन किए। यहीं से विशाल जनसमूह का एक स्वागत जुलूस प्रारंभ हुआ। १०.३० बजे जुलूस छतरपुर के चौराहे पर आया, जहाँ आम सभा हुई। स्थानीय विद्वान् पं. श्री सुधर्मचंदजी द्वारा सभा का संचालन हुआ। यहाँ की समस्त जनता ने ज्ञानज्योति के भारत भ्रमण के उद्देश्यों को बारीकी से समझा और पू. ज्ञानमती माताजी के उदार विचारों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। एक अप्रैल का अवकाश रहा, जिसमें यहाँ की समाज ने हम लोगों से पूरा-पूरा लाभ प्राप्त किया। शहर में ५ मंदिर हैं, यहाँ छोटी-छोटी लड़कियों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। २ अप्रैल प्रातः ७ बजे छतरपुर से नोरगाँव आए। ३ अप्रैल प्रातः ७ बजे यहाँ से रवाना होकर खजुराहो पहुँचे, जो जैनतीर्थ के अतिरिक्त हिन्दुओं का भी इतिहास प्रसिद्ध तीर्थस्थान है। यहाँ पर चंदेला होटल के पास ज्ञानज्योति तथा समस्त विद्वानों एवं कार्यकर्ताओं का पुष्पहार द्वारा भावभीना स्वागत हुआ। यह एक कलात्मक केन्द्र होने से यहाँ विदेशी पर्यटक हर वक्त आया करते हैं। उनके रहने के लिए बड़े-बड़े होटल बने हुए हैं, पुरातत्त्व विभाग का म्यूजियम भी है। जैन तीर्थक्षेत्र पर बड़े-बड़े कई मंदिर हैं, जिनके अभिषेक-पूजन का भी लाभ मिला। यहाँ से सीधे दिल्ली आदि स्थानों के लिए हवाई अड्डे से हवाई जहाजों की भी पूर्ण सुविधा प्राप्त है। यहाँ पर भी अन्य स्थानों के अनुसार सभा और बोलियों का आयोजन हुआ। जुलूस के मध्य जगह-जगह विदेशियों ने वीडियो फिल्में भी खींची। दिनांक २३ मार्च से ३ अप्रैल तक मैंने ज्ञानज्योति भ्रमण का यह आँखों देखा अनुभव प्रस्तुत किया है। इस मध्य मध्यप्रदेश पुलिस विभाग के समस्त कार्यकर्ताओं का अविस्मरणीय सहयोग प्राप्त हुआ। मेरे प्रति भी असीम श्रद्धा व स्नेह रहा, जिसके लिए मैं उन सभी लोगों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूँ। यदि इसी प्रकार देश तथा राज्य के समस्त विभाग अपने कर्तव्यों को प्रधानता देकर देश की सेवा करें तो निश्चित ही हमारा देश आतंक का शिकार न बनकर सुरक्षित रह सकता है। आगे चलते हैं 'राजनगर' जहाँ ज्ञानज्योति का रथ आया। श्री आर.के. लहरी एस.डी.ओ. ने नगर प्रवर्तन करवाया। पन्ना में जिलाधीश एवं मजिस्ट्रेट जैन साहब आए। मोतीचंदजी ने उन्हें प्रवर्तन के रहस्य भी बतलाए ॥ १ ॥ इस पन्ना जिले के शहर अजयगढ़ में उपजिलाधीश आए। ज्योतीवाहन पर स्वस्तिक लिखकर उसके दर्शन कर पाए। पवई का भव्य प्रवर्तन उस नगरी के लिए अपूर्व बना। अध्यक्ष नगरपालिका दयाशंकरजी में उत्साह घना ॥ २ ॥ देवेन्द्रनगर का रोम रोम पुलकित था ज्ञान ज्योति पाकर। प्रान्तीय उड्डयन मंत्री श्री कैप्टन जयपाल सिंह आकर ॥ होकर प्रसन्न मस्तक टेका अपना सौभाग्य सराह लिया। श्री बाबूलाल जैन ने ज्योती रथ पर स्वस्तिक बना दिया ॥ ३ ॥ नागौद जिला सतना में जम्बूद्वीप ज्ञानज्योती आई। नौ ऐप्रिल को अध्यक्ष नगरपालिका ने माला पहनाई ॥ यहाँ मुख्यअतिथि श्री बृजकिशोरजी एडवोकेट पधारे थे। शोभायात्रा में गली-गली जयज्ञानज्योति के नारे थे॥ ४ ॥ सतना में स्वागत सभा और शोभायात्रा का क्रम आया। श्री नीरज जैन ने भाषण में इतिहास पुराना बतलाया ॥ रीवां संभाग प्रतीक्षा में कब से स्वागत को तरस रहा। मंगल प्रवेश की घड़ियों में वहाँ पर धर्मामृत बरस रहा ॥ ५ ॥ Jain Educationa international For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012075
Book TitleAryikaratna Gyanmati Abhivandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1992
Total Pages822
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size26 MB
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