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________________ वीर ज्ञानोदय ग्रन्थमाला [६१३ कर्रापुर, बंडा, दलपतपुर से नैनागिरि प्रस्थान हुआ। इस तीर्थक्षेत्र के दर्शन से सबके मन हर्ष महान हुआ। हीरापुर से आगे बकस्वाहा जिला छतरपुर ज्योति चली। श्री वली मोहम्मद नगरपालिकाध्यक्ष चले थे गली-गली ॥ ३५ ॥ श्री कुंवर प्रताप सिंह ठाकुर बम्होरी नगर पधारे थे। आगे फिर बड़ा मलहरा में शर्माजी विधायक आए थे। शोभायात्रा का संचालन श्री हेमचंदजी के द्वारा। हो गया प्रवर्तन नगरी में सबने बोली थी जयकारा ॥ ३६ ॥ मध्यप्रदेश भ्रमण के कतिपय स्वानुभविक संस्मरण जंबूद्वीप ज्ञानज्योति के मध्यप्रदेश प्रवर्तन के मध्य कुछ समय मुझे भी (आर्यिका चंदनामती) ब्रह्मचारिणी अवस्था में ज्योति के साथ भ्रमण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जिसके कतिपय अनुभवों को मैंने उसी समय लेखनीबद्ध किया था, वे ज्यों की त्यों यहाँ प्रस्तुत हैं २३ मार्च, १९८४, मध्यप्रदेश के द्रोणगिरी सिद्धक्षेत्र पर जम्बूद्वीप ज्ञानज्योति का पदार्पण हुआ। मेरा भी इस सिद्धक्षेत्र से ही ज्योतिभ्रमण प्रारंभ हुआ। ज्ञानज्योति के साथ आए हुए समस्त कार्यकर्ता, संचालक ब्र. श्री पं. सुधर्मचंदजी शास्त्री तिवरी और हम सभी लोगों ने यहाँ के पर्वत की वंदना की। पर्वत पर २२५ सीढ़ियाँ हैं, ऊपर जाकर बहुत से प्राचीन मंदिर हैं। यहाँ की खास विशेषता यह रही कि पर्वत के ऊपर मैंने देखा महामुनि गुरुदत्त की प्रशस्ति लिखी हुई है, उन्होंने द्रोणगिरी से मोक्ष प्राप्त किया। प्राचीन इतिहास को देखने से ज्ञात होता है कि गुरुदत्त राजकुमार ने हस्तिनापुर में जन्म लिया था और हस्तिनापुर ही उनकी राजधानी थी। यहीं पर राज्य संचालन करके जैनेश्वरी दीक्षा धारण की थी। अन्त में उपसर्ग पर विजय प्राप्त करके द्रोणगिरी पर्वत से सिद्ध पद प्राप्त किया। वास्तव में ऐसे सिद्धक्षेत्रों की वंदना करके असीम आनन्द की अनुभूति होती है। बुंदेलखंड तो यूं भी तीर्थों की प्रसिद्ध भूमि है। ज्ञानज्योति भ्रमण के साथ-साथ लोगों को ऐसे कितने ही तीर्थों की वंदना का सौभाग्य मिलता रहा है, जो कि प्रत्येक प्राणी के लिए सहज सुलभ नहीं होते। यहाँ एक उदासीन आश्रम है, जहाँ ब्रह्मचारीगण धर्मध्यान और आत्मसाधना करते हैं। पर्वत के नीचे एक जिन मंदिर है तथा एक नवनिर्मित चौबीसी मंदिर भी है। इन तीर्थक्षेत्रों पर ज्ञानज्योति पदार्पण का प्रमुख उद्देश्य तीर्थवंदना का ही रहता है। यहाँ पर आस-पास के ग्रामवासियों ने तथा सिद्धक्षेत्र कमेटी अध्यक्ष, महामंत्री और सदस्यों ने ज्ञानज्योति का भावभीना स्वागत किया। सभा का आयोजन हुआ। क्षेत्र कमेटी की ओर से ज्योति संचालकों तथा कार्यकर्ताओं का पुष्पहार से स्वागत किया गया, जिसके लिए संचालक महोदय ने ज्योति प्रवर्तन की ओर से आभार प्रकट किया। यहाँ पर एक विशेष बात यह उल्लेख कर देना उचित होगा कि २१ मार्च से जम्बूद्वीप ज्ञानज्योति के साथ केन्द्र सरकार की सूचना से मध्यप्रदेश राज्य सरकार की ओर से ९ पुलिस अधिकारियों सहित एक पुलिस वाहन भी रहा, जिनकी सुरक्षा में ज्ञानज्योति रथ का रात-दिन निर्बाध रूप से विहार जारी रहा। समस्त कार्यकर्ता सर्वआतंक मुक्त रहे। छतरपुर, टीकमगढ़ जिले के सभी ग्रामों में दिनांक ४-४-८४ चंद्रनगर तक इस सुरक्षा विभाग से अपूर्व सहयोग एवं आत्मीय भाव प्राप्त हुआ, जिसके लिए जम्बूद्वीप ज्ञानज्योति प्रवर्तन और दि. जैन त्रिलोक शोध संस्थान की ओर से मध्यप्रदेश पुलिस विभाग को हार्दिक बधाई दी गई तथा सम्मानित भी किया गया। अपने पूर्वनियोजित कार्यक्रम के अनुसार ज्ञानज्योति का मध्याह्न २ बजे द्रोणागिरि सिद्धक्षेत्र पर ज्ञानज्योति का अवलोकन करते हुए मुनि श्री नेमिसागर जी महाराज। द्रोणगिरी से मंगल विहार होकर भगवाँ आए। यहाँ जैन अजैन जनता ने काफी दूरी से ही ज्ञानज्योति का स्वागत किया। आम सभा हुई। मेरे तथा पं. सुधर्मचंदजी, भूरमलजी (जबलपुर) आदि के भाषण हुए। इन्द्रों की बोलियाँ हुईं और गाँव में ज्योति रथ का जुलूस निकाला गया। यहाँ पर २ जैन मंदिर हैं, जिनके दर्शन हम सभी ने किये। Jain Educationa international For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012075
Book TitleAryikaratna Gyanmati Abhivandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1992
Total Pages822
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size26 MB
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