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गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती अभिवन्दन ग्रन्थ
इस ज्ञानज्योति ने आशातीत सफलता जग में पाई है। इसके द्वारा बहुतों ने अपनी अन्तज्योंति जलाई है ॥ २५ ॥ रहली सागर के एस.डी.ओ. साहब एवं नायकजी ने। स्वागत कर निज को धन्य किया ढाना के भी नर नारी ने ॥ राहतगढ़ में विद्युत प्रकाश से नगरी खूब सजाई थी । माँ ज्ञानमती की ज्ञानज्योति अब इस नगरी में आई भी ॥ २६ ॥
डी. एस. ओ. श्री रघुवीर सिंह से रथ उद्घाटन करवाया। इस नगरी के मंगल जुलूस ने कीर्तीमान बनाया था । केशरिया ध्वज ले स्कूटर रथ आगे-आगे चलते थे। केशरिया कपड़ों में मंगल घट ले समूह कुछ चलते थे॥ २७ ॥
इक नगर गौरझामर में ज्योति प्रवर्तन हुआ बहुत भारी
श्री परसरामजी साडू नगर विधायक एवं नर नारी ॥ स्वागत कर सबने मिल शोभायात्रा निकलाई नगरी में। देवरीकला महाराजपुरा क्षुल्लक चारितसागरजी थे ॥ २८ ॥
सागर खिमलासा नगरी में थी तेरह मार्च भाग्यशाली । इस ज्ञानज्योति ने जहाँ पहुँच कर सबकी ज्योति जला डाली। आचार्यकल्प श्री पार्श्वसिन्धु ने मंगल आशिर्वाद दिया।
केन्द्रीय महामंत्री रवीन्द्रजी ने आगे का काम सम्हाल लिया ॥ २९ ॥
मंडी बामोरा में उनका प्रवचन जनता को प्राप्त हुआ। इस ज्योति प्रवर्तन उद्देश्यों से हर्षित सभी समाज हुआ।
खुरई गुरुकुल के प्रांगण में तिल भर भी जगह न दिखती थी। धार्मिक कार्यों में यहाँ सदा केशरिया धूल बिखरती थी ॥ ३० ॥
श्रीमंत सेठ श्री ऋषभ जैन ने ज्ञानज्योति सत्कार किया । मुनिवर निर्वाण सिन्धु ने अपना आशिर्वाद प्रदान किया | भाई रवीन्द्र ने बतलाया यह जम्बूद्वीप पुराना है।
श्री ज्ञानमती माताजी से हम सबने इसको जाना है॥ ३१ ॥
सागर में पंद्रह मार्च को जम्बूद्वीप ज्योतिरथ आया था।
कटरा मंदिर के पास वहाँ स्वागत का मंच बनाया था ॥ डाक्टर श्री पन्नालाल ने भौगोलिक उपदेश सुनाया था । माँ ज्ञानमती की साहित्यिक रचनाओं को बतलाया था ॥ ३२ ॥
पंडित श्री दयाचंदजी ने इक तीरथ इसको बतलाया । इस जम्बूद्वीप में चूँकि महापुरुषों ने यहीं जनम पाया। ब्रह्मचारी श्री रवीन्द्रजी ने पिछले संस्मरण सुनाये थे। जो ज्योति प्रवर्तन मध्य उन्हें अपने अनुभव में आये थे ॥ ३३ ॥
शोभा यात्रा में ब्राह्मी आश्रम की बालाएं चलती थीं।
सब श्वेत साटिका सहित ज्ञानमति में की स्मृति करती थ मानो इस ज्ञानज्योति से उनके मन में सम्यग्ज्ञान खिला । आकृतियाँ बोल रहीं उनकी माँ मुझ को ज्ञान प्रभात मिला ॥ ३४ ॥
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