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गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती अभिवन्दन ग्रन्थ
जब करकबेल से नरसिंहपुर की ओर ज्योति प्रस्थान हुआ। पथ में इक जगह बृहत् पदयात्रा संघ के साथ मिलान हुआ ॥ श्वेतांबर श्रावक साधु सहित पंद्रह सौ पदयात्री देखा।
वह ज्ञानज्योति रथ रुकवा कर सबने बारीकी से देखा ॥ ८ ॥ इतना विशाल पदयात्रा संघ नहिं पूर्व में देखा गया कभी। भोजन पानी की सभी व्यवस्था उनके संग बाहन पर थी॥ 'नरसिंहपुर' में फरवरी की दस तारीख में ज्ञानज्योति आई। प्रादेशिक वनमंत्रीजी ने ज्योती पर माला पहनाई ॥ ९ ॥
'सिवनी' के प्रांगण में बारह फरवरी ज्योति आगमन हुआ। श्रीमती प्रभा भार्गव एम.एल.ए. द्वारा रथ परिभ्रमण हुआ। पंडित श्री सुमेरचंद्र दिवाकर ने आकर उपदेश दिया।
निज जन्मभूमि में ज्ञानज्योति के स्वागत में संदेश दिया ॥ १० ॥ चारित्र चक्रवर्ती गुरुवर की परम्परा वृद्धिंगत हो। श्री ज्ञानमती जैसी माता को पाकर तुम जीवन्त रहो॥ इस ज्ञानज्योति की दिव्य प्रभा गुरु का संदेश सुनाती है। कुछ संयम पालो जीवन में मत डरो यही बतलाती है ॥ ११ ॥
पंडितजी बोले यह ज्योती युग-युग तक ज्ञान प्रकाश करे। अनमोल ज्ञान का यह मोती इक सचमुच का इतिहास अरे॥ इसकी शीतलता का दर्शन साक्षात हमें करना होगा।
गुरु वाणी को अब इन मुख से स्वयमेव हमें सुनना होगा ॥ १२ ॥ बहु स्वागत सत्कारों के संग ज्योतीरथ छिन्दवाड़ा पहुँचा । केशरिया ध्वज से सजे हुए स्कूटर का इक दल पहुँचा। दो तीन किलोमीटर पहले नवयुवकों ने सम्मान किया। छिन्दवाड़ा आयोजन करके सबने आगे प्रस्थान किया ॥ १३ ॥
प्रोफेसर लक्ष्मीचंद जैन ने भी स्वागत में भाग लिया। हज्जारों नरनारी को निज मंगल प्रवचन का लाभ दिया । मोतीचंद ब्रह्मचारीजी ने अपने भाषण में बतलाया।
यह जम्बूद्वीप हस्तिनापुर की धरती पर है बनवाया ॥ १४ ॥ छिन्दवाड़ा से चोरई नगर में बारह बजे ज्योति पहुँची। जनता ने स्वागत हेतु बड़ी रुचि दिखलाई रात्री में भी॥ दीवाली मानो सजी हुई नगरी में विद्युत दीप जले। नर नारी केशरिया ध्वज मंगल घट ले जुलूस के साथ चले॥ १५ ॥
वरघाट लालबर्रा व नैनपुर जिला मंडला में आई। कहीं न्यायाधीश व जिलाधीश ने रथ को माला पहनाई ॥ डिंडोरी और पनागर गोसलपुर का प्रांगण महक उठा।
इस ज्योति प्रवर्तन को पाकर शहरी जनमानस चहक उठा ॥ १६ ॥ भगवानदास गुप्ता ने सलेमनाबाद में रथ को नमन किया। तिवरी यात्रा ने एक नये संचालकजी का चयन किया ॥
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