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वीर ज्ञानोदय ग्रन्थमाला
मेरठ विश्वविद्यालय, मेरठ MEERUT UNIVERSITY, MEERUT
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Office:75454 Resi. :74252
Anytokirtan
प्रो०बी०बी० एल० सक्सेना एम.एस-सी., डी.फिल., एफ.एन.ए.एस-सी.
कुलपति
Prof. B. B. L. Saxena
M.Sc.. D.Phil.. F.N.A.Se.
Vice-Chancellor
सन्देश
मेरठ विश्वविद्यालय के लिए यह गौरव का विषय है कि उसके परिक्षेत्र में हस्तिनापुर सदृश ऐतिहासिक एवं पौराणिक नगरी विद्यमान है। इस नगरी का भारतीय संस्कृति में विशिष्ट ऐतिहासिक महत्व है। पांडवों की राजधानी के रूप में विख्यात इस महाभारत कालीन नगरी को जैन परम्परा के तीन तीर्थकरों भगवान् शातिनाथ, भगवान् कुन्थुनाथ एवं भगवान् अरहनाथ की जन्मभूमि होने का गौरव प्राप्त है। यह नगरी जैन श्रावकों के लिए वन्दनीय तो थी ही किन्तु वर्तमान में जैन पुराणों में उपलब्ध भौगोलिक वर्णनों के आधार पर जम्बूद्वीप की रचना (मॉडल) बन जाने के कारण यह नगरी भारत के महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल के रूप में विकसति हो गयी है।
मेरठ विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में आने पर मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि मेरे ही विश्वविद्यालय की परिधि में गणिनी आर्थिकारत्न श्री ज्ञानमती प्रायः रहती हैं जिनके द्वारा रचित अष्टसहस्री, कातंत्ररूपमाला, समयसार, नियमसार, जैन भूगोल, त्रिलोक भास्कर आदि ग्रन्थों का पठन-पाठन देश विदेश में व्यापक रूप से हो रहा है। आपकी प्रेरणा से स्थापित दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान द्वारा 1985 में इस विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में जैन स्कूल ऑफ मेथमेटिक्स पर इंटरनेशनल सेमिनार का आयोजन पू० माताजी के सानिध्य में किया गया था ।
विश्व की इस अद्वितीय जम्बूद्वीप रचना, जैन परम्परा में प्रथम बार निर्मित कमल मंदिर के निर्माण की पावन प्रेरिका, शताधिक ग्रन्थों की रचयित्री, अनेक अकादमिक गतिविधियों की केन्द्रबिन्दु, परम विदुषी, जैन साध्वी पूज्य गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को उद्घाटित करने के भाव से आपने जो अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित करने का निर्णय लिया है वह सराहनीय है। मैं दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान, हस्तिनापुर के इस प्रयास की सराहना करता हूँ एवं आशा करता हूँ कि इस ग्रन्थ के माध्यम से आप पूज्य आर्यिका श्री के लोकोपकारी व्यक्तित्व एवं बहुआयामी साहित्यिक अवदान को प्रकाश में ला सकेंगे।
पूज्य आर्यिका जी के चरणों में शतशः नमन् ।
भी-०४ सम्मका
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