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________________ वीर ज्ञानोदय ग्रन्थमाला श्री प्रकाशचंद सेठी, केन्द्रीय मंत्री एवं कई संसद सदस्य भी आये। श्री जे०के० जैन ने सर्वप्रथम इंदिराजी व सभी साथियों को पू० माताजी के दर्शन कराए। अनंतर सभी लोग मंच पर आ गए, किन्तु इंदिराजी माताजी से कुछ व्यक्तिगत वार्ता करने हेतु वहीं रुक गईं। एक महिला होने के नाते उन्होंने पूज्य माताजी से अपने हृदय के कुछ उद्गार व्यक्त करते हुए समाधान पूछा, बातें तो जो और जिस रूप में उन्होंने की हों, यह मुझे नहीं मालूम, किन्तु इंदिराजी की धर्म के प्रति जो निष्ठा और विश्वास मैंने देखा, वह सचमुच अविस्मरणीय है। पूज्य माताजी ने एक पैण्डन में यंत्र रखकर दिया, जिसे उन्होंने श्रद्धावनत होकर तत्काल गले में पहन लिया। इसके साथ ही माताजी ने एक मूंगे की माला पर करोड़ों मंत्रों का जाप्य किया था, उस माला को उन्हें देते हुए कहा कि इस माला के द्वारा प्रतिदिन "ॐ नमः" मंत्र की एक माला अवश्य फेरें, इंदिराजी सिर झुकाकर सहर्ष उस माला को भी गले में डालकर बहुत प्रसन्न हुई। उन्होंने २० मिनट तक माताजी से बातचीत की और असीम शांति का अनुभव किया। इस मध्य माताजी और इंदिराजी के सिवाय अन्य कोई भी वहाँ उपस्थित नहीं था। उधर माताजी और प्रधानमंत्री का वार्तालाप चल रहा है। इधर हजारों की संख्या में उपस्थित जनसमुदाय आतुरतापूर्वक अपने प्रिय नेता की प्रतीक्षा कर रहा है। २० मिनट बाद पू० माताजी अपने मंच पर पधारी और प्रधानमंत्री अपने मंच पर। इनके पदार्पण करते ही सारी जनता ने करतल ध्वनि की गड़गड़ाहटपूर्वक स्वागत किया। उस स्वागत का प्रत्युत्तर इंदिराजी ने हाथ जोड़कर अभिवादनपूर्वक दिया। कार्यक्रम का शुभारम्भसभा के सफल संचालन का भार माननीय जे०के० जैन के ऊपर था; अतः उन्होंने उपस्थित विशाल समुदाय को शांत करने हेतु अहिंसा धर्म की जयकारों के नारे लगाए। जनसमूह शांत हुआ। अब सभा की कार्यवाही प्रारंभ हुईसर्वप्रथम ज्ञानमती माताजी की संघस्थ कु० मालती एवं कु० माधुरी शास्त्री ने मंगलाचरण किया ॐ नमः सिद्धेभ्यः, ॐ नमः सिद्धेभ्यः, ॐ नमः सिद्धेभ्यः त्वयाधीमन् ब्रह्मप्रणिधिमनसा जन्म निगलन् , समूलं निर्भिन्नं त्वमसि विदुषां मोक्षपदवी। त्वयि ज्ञानज्योतिर्विभवकिरणैर्भाति भगवन् , नभूवन् खद्योता इव शुचिरवावन्यमतयः । अर्हतो मंगलं कुर्युः, सिद्धाः कुर्युश्च मंगलम्। आचार्याः पाठकांश्चापि, साधवो मम मंगलम् ॥" मंगलाचरण के अनंतर गृहमंत्री श्री प्रकाश चंद सेठीजी ने गुलाब के सुन्दर पुष्पहार द्वारा प्रधानमंत्रीजी का स्वागत किया। उस स्वागत की श्रृंखला में ज्योति प्रवर्तन के अध्यक्ष श्री निर्मल कुमार सेठी, महामंत्री श्री मोतीचंदजी व रवीन्द्र कुमार आदि पदाधिकारियों ने प्रधानमंत्रीजी का पुष्पहार द्वारा स्वागत किया, तत्पश्चात श्री जे०के० जैन ने स्वयं इंदिराजी को माला पहनाई और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती निर्मल जैन ने इंदिराजी को बैज लगाकर स्वागत किया। स्वागत की श्रृंखला को संक्षिप्त रूप देते हुए अन्य और अतिथियों को भी फूलों की मालाएं पहनाकर सम्मान दिया गया। श्री निर्मल कुमार सेठी ने अभिनंदन पत्र पढ़ा, जिसे श्री अमरचंदजी पहाड़िया, कलकत्ता समारोह के स्वागताध्यक्ष ने इंदिराजी के करकमलों में भेंट किया एवं गृहमंत्रीजी द्वारा इंदिराजी को जंबूद्वीप की प्रतिकृति रूप सुमेरु पर्वत का रजत मॉडल भेंट कराया गया। इंदिराजी ने प्रसन्नतापूर्वक उस प्रतिकृति का अवलोकन किया। जम्बूद्वीप ज्ञानज्योति प्रवर्तन समिति के महामंत्री ब्र० श्री मोतीचंदजी एवं ब्र० श्री रवीन्द्र कुमारजी ने क्रम से ज्ञानज्योति प्रवर्तन का प्रारूप एवं त्रिलोक शोध सभा मंच पर प्रधानमंत्री जी को जम्बूद्वीप का प्रतीक भेट करते हुए गृहमंत्री श्री प्रकाशचंद सेठी, साथ में खड़े हैं श्री जे.के, जैन सासद। संस्थान हस्तिनापुर का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया। Jain Educationa international For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012075
Book TitleAryikaratna Gyanmati Abhivandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1992
Total Pages822
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size26 MB
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