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वीर ज्ञानोदय ग्रन्थमाला
अजित सिंह, संसद सदस्य
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि हस्तिनापुर स्थित जम्बूद्वीप की पावन प्रेरिका पूज्य गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी के सम्मान में एक अभिनन्दन ग्रंथ का प्रकाशन किया जा रहा है। दो साल पूर्व में भी इस पावन भूमि पर आया था और माताजी के दर्शन किया था।
पूजनीया माताजी ने नारी समाज को तो गौरवान्वित किया ही है, यहां जम्बूद्वीप की स्थापना कर हमारे उत्तर भारत को जो अमूल्य धरोहर प्रदान की है, प्रशंसनीय है।
उनके सम्मान में निकाले जा रहे अभिनन्दन ग्रन्थ के सफल प्रकाशन की मैं कामना करता हूँ।
आपका [अजित सिंह]
IAN NATION
J.K. JAIN Ex. M.P.
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CONGRESS
"विनयांजलि"
मैंने युवावस्था से गणिनी ज्ञानमती माताजी का नाम सिर्फ सुना ही न था, किन्तु कई बार उनके दर्शन भी किए थे, घनिष्ठता उस समय हुई जब माताजी ने जम्बूद्वीप रचना की एक वृहद् योजना तैयार की। उस समय से लेकर अब तक बराबर सम्पर्क बना हुआ है।
जम्बूद्वीप की प्रतिकृति (ज्ञानज्योति) का देश में प्रवर्तन हुआ, उसका उद्घाटन श्रीमती इन्दिरा गांधी द्वारा सन् १९८२ में दिल्ली से किया गया था। जम्बूद्वीप पर एक सफल सेमीनार दिल्ली में आयोजित किया गया जिसका उद्घाटन श्री राजीव गांधी द्वारा किया गया था। वर्तमान प्रधानमंत्री श्री पी०वी० नरसिम्हाराव (उस समय के रक्षा मंत्री) द्वारा हस्तिनापुर में ज्ञानज्योति की चिरकालीन स्थापना की गई।
इस सभी कार्यों में जो भी योगदान मैंने दिया है वह केवल माताजी की सौम्यमूर्ति एवं उनके सरल स्वभाव के कारण ही हुआ है।
ज्ञानमती माताजी का यह अभिनन्दन भारतीय संस्कृति एवं अहिंसा धर्म का अभिनन्दन है। इस वृहद् कार्य के लिए पूज्य माताजी को विनयांजलि एवं मेरी शुभ कामनाएँ प्रेषित हैं।
ज के जेन
(जे.के. जैन)
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