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________________ गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती अभिवन्दन ग्रन्थ A Dr. J.K. Jain Merrber of Parliament (Rajya Sabha) सन्देश मुझे ये जानकर असीम प्रसन्नता हुई है कि दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान की पावन प्रेरिका, परम विदुषी, साध्वी, गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती जी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने हेतु एक वृहद् अभिनन्दन ग्रंथ प्रकाशित करने का निर्णय लिया है। पूज्य माताजी ने अपने ५८ वर्ष के जीवन काल में धर्म एवं समाज के प्रति जो कार्य किये हैं, वे अपने आप में अपूर्व हैं। ग्रंथ के माध्यम से प्रतिष्ठापित उनके आचार एवं विचार युग-युगान्तर तक हमारा तथा आने वाली पीढ़ी का मार्ग प्रशस्त करते रहेंगे और शांति-समृद्धि से परिपूरित समाज और राज्य की स्थापना में सहायक होंगे। [जिनेन्द्र कुमार जैन] लेखा विहार सरोजनी नगर नई दिल्ली-११००२३ मुझे यह जानकर अति प्रसन्नता हो रही है कि हस्तिनापुर में निर्मित जम्बूद्वीप की पावन प्रेरिका पूज्य गणिनी आर्यिका रत्न श्री ज्ञानमती माता जी के सम्मान में एक अभिनंदन ग्रंथ का प्रकाशन होने जा रहा है, इसके सफल प्रकाशन के लिए मेरी शुभकामनायें स्वीकार करें। भवदीया [विजया राजे सिंधिया] Jain Educationa international For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012075
Book TitleAryikaratna Gyanmati Abhivandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1992
Total Pages822
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size26 MB
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