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________________ गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती अभिवन्दन ग्रन्थ [३३ त्रा विधान भवन, लउनऊ, दिनांकः मलाई, 1992 प्रेमलता कटियार नत्रा . नर विकास। तर प्रह संदेश यह जानकर प्रसन्नता हुई कि हस्तिनापुर (मेरठ) में निर्मित जम्बूद्वीप निर्माण की प्रेरणा प्रदान करने वाली आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी के सम्मान में अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन किया जा रहा है और अभिनन्दन ग्रन्थ समर्पण का आयोजन किया गया है। गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमतीजी ने अपने प्रवचनों से जनसाधारण को ज्ञान एवं आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलने के लिए मार्गदर्शन किया उन्होंने १९६५ के श्रवणबेलगोल चातुर्मास में भगवान बाहुबलि के चरणसानिध्य में लगभग १५० से भी अधिक ग्रन्थों की रचना कर अमृतत्व प्रदान कराया। आशा है श्री ज्ञानमती अभिनन्दन ग्रन्थ में श्री ज्ञानमतीजी के व्यक्तित्व के साथ ही उनके द्वारा रचित एवं अब तक अप्रकाशित प्रवचनों को भी प्रकाशित किया जायेगा। मैं आयोजन की सफलता एवं अभिनन्दन ग्रन्थ के प्रकाशन की सफलता की कामना करती हूँ। Ihman dita [प्रेमलता कटियार] जयन्त कुमार मलया राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पावास एवं पर्यावरण मध्यप्रदेश निवास : 55557 654256 कार्यालय : 651259 पतिथि गृह, राजधानी परियोजना प्रशासन, चार इमली संदेश अत्यन्त हर्ष का विषय है कि गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमतीजी की सेवाओं के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिये एक वृहद् अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन दिगम्बर जैन शोध संस्थान हस्तिनापुर द्वारा किया जा रहा है। समाज में अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह एवं साम्प्रदायिक सद्भाव की आज महती आवश्यकता है। इन मूल्यों को समाज में चरितार्थ करने वाले महापुरुषों का अभिनन्दन निश्चय ही एक स्तुत्य प्रयास है। श्रद्धास्वरूपा सुश्री ज्ञानमतीजी की महान् सेवाओं के उपलक्ष्य में प्रकाशित अभिनंदन ग्रंथ समाज में शाश्वत मूल्यों की पुनर्प्रतिष्ठा की दिशा में सम्यक् प्रेरणा देगा। अभिनन्दन ग्रन्थ के लिए मेरी शुभकामनाएं। ishore [जयन्त कुमार मलैया] Jain Educationa international For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012075
Book TitleAryikaratna Gyanmati Abhivandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1992
Total Pages822
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size26 MB
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