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________________ ५२६] वीर ज्ञानोदय ग्रन्थमाला ५५. दो-चार बार करने से जैनधर्म की बहुत कुछ जानकारी प्राप्त हो सकती है। प्रथम संस्करण सन् १९८१ में । तृतीय संस्करण अक्टूबर १९९० में। पृष्ठ संख्या २४४+३२, मूल्य ३६/- रु०। पूजा अभिषेक:- इस पुस्तक में पूजा मुख विधि, पूजा अंत्य विधि प्रतिष्ठातिलक से लेकर माताजी ने उसका हिन्दी पद्यानुवाद किया है, पंचामृत अभिषेक पाठ हिन्दी पद्यानुवाद तथा माताजी द्वारा ही रचित कुछ पूजाएं हैं, जो कि अच्छी लय में बनाई गई हैं भावपूर्ण भी हैं। चतुर्थ संस्करण नवम्बर १९८७ में, पृष्ठ संख्या ९६, मूल्य ४/- रु० । बाहुबली पूजाः- भगवान बाहुबली सहस्रादि महामस्तकाभिषेक के पावन प्रसंग पर इस छोटी-सी पुस्तिका का प्रकाशन किया गया। इसमें भगवान् बाहुबली की पूजन के अतिरिक्त बाहुबली अष्टक एवं कई आरतियाँ दी गई हैं। प्रथम संस्करण सन् १९८१ में। पृष्ठ संख्या ३२, मूल्य-भक्ति। बाहुबली नाटकः- भगवान बाहुबली का जीवन चरित्र तथा उनकी प्रतिमाओं के निर्माण का इतिहास, विशेषकर कर्नाटक प्रदेश में श्रवणबेलगोल स्थित ५७ फुट ऊंची प्रतिमा के निर्माण का इतिहास इस लघुकाय पुस्तक में नाटक के रूप में प्रस्तुत किया गया है। प्रथम संस्करण सन् १९८१ में। पृष्ठ ७२, मूल्य २/- रु०। ५२. योग चक्रेश्वर बाहुबली:- भगवान बाहुबली की जीवनी एवं श्रवणबेलगोल की प्रतिमा निर्माण का रोचक प्रसंग उपन्यास की शैली में निरूपित है। प्रथम संस्करण सितंबर १९८० में। पृष्ठ संख्या ११५, मूल्य २/- रु०। ५३. कामदेव बाहुबली:- भगवान् बाहुबली जिन्होंने जीतकर भी अस्थिर राज्य संपदा का त्याग कर इस भारत भूमि पर एक महान् परम्परा का बीजारोपण किया जिसका भारत के शासक आज भी अनुकरण कर रहे हैं, उनका प्रेरणास्पद कथानक इस छोटे से उपन्यास में अवतरित किया है। यह उपन्यास हिन्दी, अंग्रेजी, गुजराती, कन्नड़ एवं मराठी भाषाओं में प्रकाशित किया गया सन् १९८१ में, भगवान बाहुबली सहस्राब्दि महामस्तकाभिषेक महोत्सव श्रवणबेलगोल के अवसर पर । प्रथम संस्करण सन् १९८१ में। पृष्ठ संख्या ३९, मूल्य १.०० रु०। ५४. बाहुबली स्तोत्र एवं पूजा:- इसमें दिया गया ४४ पद्यों में संस्कृत में रचित बाहुबली स्तोत्र माताजी ने सन् १९६५ में श्रवणबेलगोल में लिखा था, तभी छप भी गया था। यह पुनर्मुद्रण है । अंत में बाहुबली की पूजा हैं। प्रथम संस्करण सन् १९८१ में । पृष्ठ संख्या ६८, मूल्य १.५० रु० । जम्बूद्वीप गाइड (जम्बूद्वीप एवं हस्तिनापुर):- इस लघु पुस्तिका में माताजी ने जम्बूद्वीप को जानने के लिए सरल भाषा में जम्बूद्वीप के चैत्यालय, नदी, पर्वत, क्षेत्र आदि का दिग्दर्शन कराया है। साथ ही जिस पावन भूमि पर भव्य जम्बूद्वीप रचना का निर्माण हुआ है उसकी प्राचीन ऐतिहासिक घटनाओं का भी अतिसंक्षेप में वर्णन किया है। अंत में जम्बूद्वीप रचना से संबंधित कुछ भजन भी दिये हैं। प्रथम संस्करण जनवरी १९८१ में। पृष्ठ संख्या २४, मूल्य ५० पैसा । जैन बाल भारती भाग-१:- जैन परम्परा में सुप्रसिद्ध महापुरुषों की जीवनी से सम्बन्धित १७ शिक्षास्पद कथानक इस पुस्तक में दिये गये हैं, जो कि रोचक व सुगम हैं। प्रथम संस्करण का प्रकाशन जनवरी १९८२ में। पृष्ठ संख्या ४४+८, मूल्य २/- रु०। जैन बाल भारती भाग-२:- इस भाग में १४ कथानक हैं। प्रथम संस्करण का प्रकाशन जनवरी १९८२ में, पृष्ठ संख्या ५६, मूल्य २/- रु० । जैन बाल भारती भाग-३:-इस भाग में १३ कथानक हैं। प्रथम संस्करण का प्रकाशन जनवरी १९८२ में । पृष्ठ संख्या ६२+१०, मूल्य २.५० रु०। नारी आलोक भाग-१:- इस पुस्तक में प्रश्नोत्तर के माध्यम से अनेक विषयों का एवं इतिहास प्रसिद्ध महिलाओं एवं महापुरुषों के जीवन वृत्त का बोध कराया गया है। २५ लेख हैं प्रत्येक लेख रोचक एवं प्रेरणास्पद है। प्रथम संस्करण सन् १९८२ में । पृष्ठ संख्या ७५, मूल्य ३/-रु० । ६०. नारी आलोक भाग-२:- प्रथम भाग की तरह दूसरे भाग में भी २४ लेख हैं जिनमें भिन्न-भिन्न विषयों को सुगम भाषा में प्रश्नोत्तर के माध्यम से खोला गया है तथा कुछ में कथाएं भी दी गई हैं। लेख आबाल-गोपाल, स्त्री-पुरुष सभी के पढ़ने योग्य हैं। प्रथम संस्करण १९८२ में। पृष्ठ संख्या १०६, मूल्य ३.५० रु०।। दशधर्म:- उत्तम क्षमा आदि दश धर्मों के विवेचन रूप में छोटी-बड़ी अनेक पुस्तकों का प्रकाशन विभिन्न स्थानों से विभिन्न लेखकों के द्वारा हुआ है, किन्तु यह अपने प्रकार की एक अलग ही पुस्तक है। इसमें प्राकृत वाली दशधर्म की पूजा के एक-एक धर्म के अर्घ्य के श्लोकों को प्रारंभ में देकर उसका अर्थ, उस धर्म से संबंधित कथाएं एवं इस धर्म का विवेचन दिया है। पुस्तक के अंत में माताजी द्वारा रचित दशधर्म की एक-एक हिन्दी कविता भी दी गई है। प्रवचनकर्ताओं के लिए यह पुस्तक विशेष उपयोगी है। प्रथम संस्करण १९८३ में। द्वितीय संस्करण जून १९८६ में। पृष्ठ संख्या ११०, मूल्य ६/- रु०। जैन भूगोल:- इस छोटी-सी पुस्तक में अनेकों ग्रंथों के साररूप में सरल भाषा में जम्बूद्वीप, नंदीश्वर द्वीप, तेरहद्वीप व तीनलोक का अतिसंक्षिप्त वर्णन किया है। इस पुस्तक को पढ़कर पृथ्वी मंडल का सहज ज्ञान प्राप्त हो सकता है। प्रथम संस्करण मार्च १९८४ में। पृष्ठ संख्या ६०, मूल्य ४/- रु०। ५९. ६२. जन Jain Educationa international For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012075
Book TitleAryikaratna Gyanmati Abhivandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1992
Total Pages822
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size26 MB
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