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________________ ३०] वीर ज्ञानोदय ग्रन्थमाला مرکزی نائب وزیرتجارت یدکی SALMAN KHURSHID वाणिज्य उप मन्त्री भारत DEPUTY MINISTER MINISTRY OF COMMERCE INDIA NEW DELHI-110011 नयमापन संदेश "मुझे यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि हस्तिनापुर में निर्मित जम्बूद्वीप की पावन प्रेरिका पूज्य गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी के सम्मान में इस अभिनंदन ग्रंथ का प्रकाशन किया जा रहा है। महापुरुषों के अभिनंदन की परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही है जिसके क्रम में आपका यह एक उल्लेखनीय कदम है। पूज्य माताजी के कर कमलों द्वारा अनेकानेक शुभ कार्य किये गये जिन्हें सर्वथा याद रखा जायेगा। इस अभिनंदन ग्रंथ के सफलतापूर्वक प्रकाशन हेतु मेरी शुभकामनाएं स्वीकार करें।" Min सो [सलमान खुर्शीद] राम लाल राही उप गृह मंत्री भारत नार्थ ब्लाक, नई दिल्ली-११०००१ DEPUTY MINISTER OF HOME AFFAIRS INDIA NORTH BLOCK, NEW DELHI-110001 मन्यमवगाते "गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती अभिनंदन ग्रंथ प्रकाशन समिति" ज्ञानमती माताजी के सम्मान में एक अभिवदंन ग्रन्थ का प्रकाशन करने जा रही है. यह प्रसन्नता की बात है। ऐसे प्रकाशन का इस समय महत्त्व है, क्योंकि व्यक्ति और समाज निहित स्वार्थों में है, मानो जाति और धर्म उन्माद ही उसकी प्रगति और विकास का मार्ग हो। राष्ट्रीयता और मानवता गौण-सी हो गयी है, समाज को विघटित करने वाली स्थिति है। इसी स्थिति से उबरना है तभी सर्व धर्म सम्मान के लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे और मानवीय मूल्यों पर आधारित जीवन जीने के लिये मार्ग प्रशस्त हो सकेगा। ____ मुझे विश्वास है कि इस प्रकाशन से निश्चित ही लोगों के अतंरमन में प्रकाश उपजेगा और उन्मादी-हीनता से मुक्त जीवन जीने का मार्ग सशक्त होगा। प्रकाशन की सफलता के लिए मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं। आपका (E [राम लाल राही] Jain Educationa international For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012075
Book TitleAryikaratna Gyanmati Abhivandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1992
Total Pages822
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size26 MB
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