________________
२४]
वीर ज्ञानोदय ग्रन्थमाला
राज्यपाल
SRO
उत्तर प्रदेश
राज भवन लरतनऊ
मार्च 251992.
सन्देश
यह जानकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हुई कि श्री ज्ञानमती माताजी के उत्कृष्ट जीवन के 58 वर्ष पूर्ण करने के उपलक्ष में दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान हस्तिनापुर, मेरठ के नेतृत्व में एक वृहद् अभिनंदन ग्रन्थ प्रकाशित किया जा रहा है ।।
श्री ज्ञानमती माता जी एक महान् देश-सेविका, परम विदुषी, साध्वी, शिक्षा, साहित्य, समाज सेवा में अग्रणी, जैन धर्म की मूल परम्परा में दीक्षित, जम्बूद्वीप की पावन प्रेरिका, गणिनी, आर्यिकारत्न हैं जिन्होंने सम्पूर्ण भारत की पद यात्रा, ज्ञानज्योति प्रवर्तन, संगोष्ठी/सेमिनारों के आयोजन एवं वीरज्ञानोदय, ग्रन्थमाला में प्रकाशित शताधिक ग्रन्थों के माध्यम से अहिंसक जीवन शैली, राष्ट्रीय एकता एवं साम्प्रदायिक सद्भाव स्थापित करने में महान् योगदान दिया है । छोटे बड़े गांवों में जाकर जातीय एकता, नैतिकता और अहिंसा का व्यापक प्रचार-प्रसार किया । उनकी सेवाओं के सम्बन्ध में जितनी प्रशंसा की जाये कम है।
आशा है इस अभिनन्दन ग्रन्थ के प्रकाशन से समाज का हर वर्ग उनके आदर्श जीवन तथा महान् व्यक्तित्व एवं कृतित्व से प्रेरणा प्राप्त करेंगी और उनका अनुकरण कर राष्ट्र सेवा एवं जनकल्याण में लगेंगी।
___ अभिनन्दन ग्रन्थ के सफल प्रकाशन हेतु मेरी हार्दिक शुभकामनायें ।
#२५८५1) १९५४ (बी0 सत्यनारायण रेड्डी)
Jain Educationa international
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org