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वीर ज्ञानोदय ग्रन्थमा
[१३ ] या मोहिणीच जणादि सपणाग्मानी
लाली कुडुव-जण-बंधु-विगासयारी । सामाग्दा समणधम्म-परायणा या
लाला पीगिह-पदस्स सुपेम्म-लाली ।। १ ।
[१४] लन्छी इवास्स पिय-माहिणि-लच्छिजुना
मंदर-देड-कमणिज-गणेण रम्मा । लायन्स णंद-करण समितुल्ल-बालं
जापति ग्याग्द-सकाल-मपुण्णमाग् ि ॥ १४ ॥
[१५] चंदम्प चंदकर-सोह-जणाण गर्ने
णदेदि सा सरद-जम्म-सुबाल-बाला । गं मन्थ-णाण-गुण-भूमिद चंटिगा ही
मनी मरम्सइ-समा अहि अंदणीओ ॥ १५ ॥
[१६] सव्वाण सस्थ-कुसलाण जणाण दिट्ठी
किं जायदे ण सरदस्स ससी-कलाए । ताए सहाविग-गुणा अहिरंजदे हि
कित्ती-सणाण-सिरमोर-लिलाड-रेहा ॥ १६ ॥
[१७ ] एगाद पग-णार-गारि अवाल-वट्टा
तं पासिदृण मुह-मंडल-अंग-सव्वं । भामेति मुंदर-मणपण-मनोहरं पण
सेयम्सग हविहिए णयणा-सु-मेणा ॥ १७ ॥
! १८ ] सव्वाण णंद-जण-जण्ण-पसणिज्जा
सा बाल-बाल-बल-होण-पवीण-बाला। भत्ती ण किं फलहि एदि विसुद्ध-भावं
लडे गणेस सदं महणिज-भावं ॥ १८ ॥
[१९] धष्णा च माद-पिद्-धषण-टिकेद-वासी
धण्णाधरा च मह-उत्तर-पदेसवासी । धण्णा च मोहिणि-सु-जम्म-सुधम्म-दायी
सो पहिरो वि अदिपुण्ण-पगास-दायी ।। १९ ॥
[२०] सा मोहिणी जह बह-सम-धम्मधारी
बाला वि सा च तह माद-पिऊ-पियारी । दादी च पासदि सदा ससितुल्ल-बालं
बाला हवंत-महपुण्ण-पहाव-धारी ॥ २० ॥
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