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गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती अभिवन्दन ग्रन्थ
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आरति है सुखकार
-कु० तमन्ना जैन, विजयनगर [आसाम] परम पूज्य श्रीज्ञानमती जी की आरति है सुखकार
मिटावे भव-बाधा दुखकार - २ परम आर्यिका पद की धारी. सहे परीषह अति दुःख भारी,
संयम धारिका, पथ अराधिका श्वेत वस्त्र उर धार नमूं मैं तुमको बारम्बार -२ परम पूज्य . . . . . . . . . . . . . . . . . . छोटेलाल की राजदुलारी, मोहिनी माँ की सुता प्यारी, अवध प्रान्त में जन्म लिया था मैनाबाई नाम नमूं मैं तुमको बारम्बार - २ परम पूज्य . . . . . . . . . . . . . . . . . . वीर सिन्धु ने दीप जलाया, माता आपने उसे सजाया, उसी दीपकी सभी शिखा के चरणों में बलिहार नमूं मैं तुमको बारम्बार -२ परम पूज्य . . . . . . . . . . . . . . . . . .
भजन
-धनंजय कुमार जैन, दरियाबाद [बाराबंकी] तर्ज - फूल तुम्हें भेजा है खत में, फूल नहीं मेरा दिल है ! धूल तेरे चरणों की बनकर, सीखें हम जीना माता । इतनी रहमत कर दो हम पर, टूटे न तुम से नाता ॥ धूल तेरे . . .॥ तुम चरणों की धूल में माता, जीवन की है सारी खुशी। जिसपे तेरी दृष्टि पड़ी है, बन गई उसकी जिन्दगी ॥ झूठे हैं सब बन्धू-भाई, सच्ची है दृष्टि तेरी । धूल तेरे . . . ॥ तुमने ध्यान लगाकर माता, देखा था कैसा सपना ।। हस्तिनापुर की धरा पे माता, तेरी रची है ये रचना ॥ भव्य कमल-मन्दिर को माता, देख के सबका मन भाता। धूल तेरे ...॥ सुख का सागर है ये 'धनंजय', बात ये तुमने बतलाई। जिनपे अपनी दया करी माँ, उनको न कोई कमी आई ॥ तुमसे जुदा जो हो जाते हैं, उनको चैन आराम नहीं । धूल तेरे चरणों की बनकर, सीखें हम जीना माता ॥ इतनी रहमत कर दो हम पर, टूटे न तुमसे नाता !
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