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गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती अभिवन्दन ग्रन्थ
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विनयांजलि
मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि पूज्य गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी का अभिवन्दन ग्रन्थ प्रकाशित हो रहा है। हमें इस बात का जन्म भूमि अवध में हो रही है। हम लोगों को माताजी का हमेशा ज्ञानमार्ग मिलता रहा है और बराबर मैं हस्तिनापुर और उनके दर्शनों से लाभ मिलता रहा है। माताजी हमारे भारतवर्ष की आर्यिकाओं में अपना प्रथम स्थान रखती हैं। जिससे जैन धर्म को बहुत लाभ हुआ है। ऐसी माँ को हम बार-बार प्रणाम करते हैं। हम सपरिवार माताजी के प्रति और भगवान महावीर स्वामी से प्रार्थना करते हैं कि माताजी इसी तरह ज्ञान की गंगा बहाती रहें।
भी गर्व है कि माताजी की गया तब भी उनसे मिलकर
हैं
आपने सैकड़ों ग्रन्थ लिखे विनयांजलि प्रस्तुत करते हैं
"गणिनी आर्यिकारत्र"
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- सुमेरचन्द पाटनी, डालीगंज-लखनऊ अध्यक्ष : भा०दि० जैन महासभा उत्तर प्रदेश
किसी भी देश, समाज या मनुष्य की पहचान उसकी संस्कृति और साहित्य से होती है। यह जितने समृद्ध होंगे वह समाज उतना ही उन्नत एवं प्राणवान् होगा। इसलिए जीवन्त समाज के लिए अपनी सांस्कृतिक एवं साहित्यिक धरोहर की रक्षा जरूरी है। परमपूज्य गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी ने जम्बूद्वीप एवं वीर ज्ञानोदय ग्रन्थमाला के द्वारा हमारी संस्कृति और साहित्य में जो योगदान दिया है वह उनका जैन समाज पर इतना बड़ा उपकार है, जिसे हम लोग तो क्या आगे आने वाली पीढ़ियाँ भी हमेशा याद रखेंगी।
मैं अपने को अत्यन्त गौरवान्वित अनुभव कर रहा हूँ कि मुझे पूज्य माताजी के अभिवन्दन ग्रन्थ में विनयाञ्जलि अर्पित करने का सौभाग्य मिला है। मेरी जिनेन्द्रदेव से यही प्रार्थना है कि पूज्य माताजी शतायु हों एवं उनका वरदहस्त समाज पर हमेशा रहे ।
- कन्हैयालाल जैन, लखनऊ
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Fountain of Gyan, Darshan and Charitrya -R.P. Patil, Gen. Secretry, Dakshin Bharat Jain Sabha
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"BHARAT" is an ancient land of various precious cultures enchating and enriching the human life through their philosophical teachings. Jainisam has been second to none in its teaching-utmost endeavour
for salvation.
Param Pujya Jian Acharyas and Aryikas were the real torch bearess who by their ideal practicies and preachings of austerity, simplicity, and sincerity showed the real way to enternal happiness-salvation.
In these beads of beaconing lights Param Pujya Gyanmati Mataji has been a prominant one. Really a fountain of Gyan, Darshan and Charitrya has been doing the singular sacred religious work. Pujya Mataji's renunciation of wordly affairs and acceptance of the ascetic life, touring the nook and corner of the land, deep study of misterious Jain granthas, profound interest in and creation of Jain literature, establishment of Jambudweep, spreed of Jambudweep Gyanjyoti's massage of unity, morality and cult of non violence, periodical and publications to propogate religious tenets and to crown all above setting up of an University for renascence of our encient precious culture deserve thousands of our salutations. After years of gaps great souls are born to kindle the spirit of religious righteousness.
"With folded hands and bended knees As we bow before our lips part to pray"
"May the preachings of Mataji bloom into fragrant flower
to bestow heavenly bliss all over"
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