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________________ ११६] वीर ज्ञानोदय ग्रन्थमाला Good Wishes -D. Veerendra Heggade Dharmasthala I am glad to note that you will bring out a Commemorate Volume on the eve of felicitation to Poojya Aryikaratna Sri Jnanamati Mataji. Hope the Volume will be resourceful with Articles from learned scholars and eminents in the spiritual field. I wish the publication of the Ablivandana Grantha all success. I wish the felicitation function all success. Thanking you, साहित्य साधना को समर्पित - साहू अशोक कुमार जैन, अध्यक्ष : अ०भा०दि० जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी पूज्य गणिनी आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी के सम्मान में अभिवन्दन ग्रन्थ प्रकाशित करने की योजना पर कृपया मेरी बधाई स्वीकार करें। पूज्य माताजी का सम्पूर्ण जीवन ज्ञान और साहित्य-साधना को समर्पित है। अध्यात्म-पथ की ओर अग्रसर पूज्य माताजी ने जैनागमों का अध्ययन किया है। अभिवन्दन-ग्रन्थ उनके कृतित्व और व्यक्तित्व पर प्रकाश डाल जन-कल्याण का मार्ग दिखाएगा ऐसा मेरा विश्वास है। आपके प्रयास के लिए मेरी ओर से शुभकामनाएं। पूज्य माताजी के चरणों में सादर वन्दना । युग की महान् धरोहर - रतनलाल जैन गंगवाल, अध्यक्ष : दिगंबर जैन महासमिति, दिल्ली पूज्य माताजी वर्तमान युग की एक महान धरोहर हैं, जिन्होंने समय-समय पर विभिन्न प्रकार के धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन कर समाज में धार्मिक चेतना जाग्रत की है। जम्बूद्वीप की रचना उनके द्वारा समाज को दी गई एक अमूल्य निधि है। “आचार्य श्री वीरसागर संस्कृत विद्यापीठ" के माध्यम से अनेक विद्वान् तैयार कर तथा “सम्यग्ज्ञान" मासिक पत्रिका एवं "वीर ज्ञानोदय ग्रन्थमाला" के माध्यम से लाखों की सन्ध्या में धार्मिक ग्रन्थों का प्रकाशन कर समाज में धार्मिक ज्ञान का प्रचार-प्रसार किया है एवं निरन्तर कर रही हैं। जो समाज पर उनका बहुत बड़ा उपकार है। ऐसी ज्ञान की मूर्ति ज्ञानमती माताजी एक लम्बे अर्से तक निरन्तर इसी प्रकार अपनी ज्ञान गंगा बहाती रहें ऐसी मरी वीर प्रभु से प्रार्थना है। संपादकमंडल का यह प्रयास समाज को माताजी के बहुआयामी व्यक्तित्व पर विस्तार से और अधिक जानकारी प्रदान करेगा, जो अत्यन्त आवश्यक एवं समयानुकूल है। इससे समाज में और अधिक चेतना एवं जागरूकता पैदा होगी ऐसा मेरा विश्वास है। Jain Educationa international For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012075
Book TitleAryikaratna Gyanmati Abhivandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1992
Total Pages822
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size26 MB
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