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श्री यतीन्द्रसूरि अभिनंदन ग्रंथ
विविध
मण्डन के चार पुत्र थे जैसा 'भगवती सूत्र' की प्रशस्ति से, जो अभी पत्तन के ज्ञानभण्डार में है, विदित होता है । पूजा, जोगा. संग्रामसिंह और श्रीमल्ल उनके आयुक्रम से नाम थे । मण्डन वि० पन्द्रहवीं शताब्दी के अंत तक जीवित था ।*
वंशवृक्ष
आभू
अभयदेव
आम्बड
पाल्हा
सहणपाल
नाणा
दुसाजु
बीका
झांझण
याहड
देहड पद्मसिंह आलू पाल्ह
चाहड
खेमराज समधर
घनराज मण्डन
पुजा
जोगा
संग्रामसिंह
श्रीमल्ल
* () मण्डन द्वारा लिखे एवं लिखवाये गये ग्रंथों की प्रतियों में प्रदत्त प्रशस्तियों से ज्ञात होता है। (ब) जैन साहित्य का इतिहास पृ०४७५-४८६ में मण्डन को श्रीमाल ज्ञातीय दर्शित किया है।
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