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श्री यतीन्द्रसूरि अभिनंदन ग्रंथ
विविध
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धारण कर निर्मल चरित्र की आराधना कर मोक्ष सुख को प्राप्त करेंगे ।
उपर्युक्त कथाओ के अतिरिक्त और भी कई कथाएँ श्वेताम्बर साहित्य में नवकार मंत्र के महात्म्य पर लिखी गई प्राप्त है। दिगम्बर साहित्य में इन कथाओंको कहां तक अपनाया गया हैं एवं इनके अतिरिक्त और कौन कौनसी नवकार मन्त्र महात्म्य कथाएँ किन किन ग्रन्थों में पायी जाती है, इसकी जानकारी दिगम्बर विद्वानों से अपेक्षित है। दोनों संप्रदायों के साहित्य का तुलनात्मक अध्ययन किया जाना बहुत ही आवश्यक है। कई बातों में दोनों संप्रदायों का साहित्य एक दूसरे का पूरक है। कई बातो में मौलिकता भी है, कुछ बातों का उल्लेख किसी में अधिक तो किसी में कम । अतः जहांतक समभाव से उभय संप्रदायों के साहित्य का अध्ययन नहीं किया जायगा वहां तक जैन साहित्य का वास्तविक महात्म्य हम जनी स्वयं ही अनुभव नहीं कर सकेंगे तो दूसरों को बतलाने की बात ही कहां? .
दिगम्बर समाज में व्रत कथाओं का साहित्य बहुत विशाल है और उनमें कई कथाएँ तो बडी रोचक हैं, कुछ लोक कथाए एवं पौराणिक कथाएँ भी उनमे अपनायी गयी है। साधारण जनता को धर्म या व्रतमार्ग की ओर आकृष्ट करने के लिए इन माहात्म्य वर्णन करने वाली कथाओं का बडा ही महत्व है। इन कथाओं के सुफल सुन कर ही वैसे फल की प्राप्ति के लिए लोग लालापित होते है, अतः इन प्रेरणादायक कथाओं को अधिकाधिक एवं लोक रूचि के अनुकूल बना कर प्रकाश में लाना आवश्यक है।
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