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प्रस्तावना
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तथा विद्वन्मण्डलमें १) पं. श्यामसुन्दराचार्यजी, (२) पं. विश्वेश्वरजी, (३) पं. अवधकिशोरजी, (४) पं. विश्वेश्वरनाथजी, (५) पं. ब्रजनाथजी, (६) पं. मदनलालजी, (७) पं. विहारीलालजी, (८) पं. रमाकान्तजी (९) पं. विश्वनाथजी, (१०) पं. गजानन रामचन्द्र करमलकरजी जैसे अनेकपदवीधर प्रसिद्ध विद्वानोंने सूरिजीके सद्गुणसन्मान-पूजनमें औदार्यसे सहयोग दिया है।
एवं जैन-समाजके सद्गृहस्थ साक्षर-लेखकोंमें (१) दौलतसिंहजी लोढा बी. ए. कवि 'अरविंद', (२) विख्यातनाम अगरचन्दजी नाहटा, (३) लक्ष्मीचन्दजी, (४) राजमलजी लोढा ('दैनिक ध्वज' पत्रकार), (५) निहालचन्दजी फोजमलजी (मन्त्री, राजेन्द्रप्रवचन-कार्यालय, खुडाला), (६) कुन्दनमलजी डांगी (प्र. सं. 'शाश्वतधर्म'), (७) कीर्तिकुमार हालचन्द वोरा, (८) विनुभाई गुलाबचन्द शाह बी. ए., (९) बालचन्द्रजी आदि कई लेखकोंने सूरिजीकी साहित्य-साधना, इतिहास-प्रेम, तीर्थयात्रा, तीर्थोद्धार, प्रतिमा-प्रतिष्ठा, ग्रन्थ-रचना आदि सद्गुणमय जीवन-कर्तव्यका परिचय कराया है, जिज्ञासु सज्जन स्वयं पड़ कर परिचित हो सकते हैं।
(२) विविध विषय-खण्ड दूसरा विविध विषय-खंड विविध विषयोंके विज्ञानसे भरा हुआ है। यह खण्ड विविध भाषामें है। इसमें मुख्यतया २७ लेख हिन्दीमें और १६ लेख गूजराती है, तथा महत्त्वका १. लेख इंग्लीशमें और १ लेख राजस्थानीमें भी है। छोटे-बड़े ४५ लेख प्रकाशित हुए हैं । पृ. १ से २८३ तक हिन्दी विभाग, पृ २८४ से २८७ तक राजस्थानी, पृ. २८८ से ३०५ तक इंग्लीश, और पृ. ३०६ से ३७१ तक गूजराती विभागकी योजना हुई है, और पृ. ३७२ से ३७६ में पूर्ति-पुरवणी हिन्दीमें जोड़ दी गई है।
इसमें महत्त्वके लेख इस प्रकारके हैं-हिन्दी २७ लेख - (१) भारतीय दर्शनोंमें आत्म-स्वरूप , (२) तुलनात्मक दृष्टिसे जैन-दर्शन , (३) स्याद्वाद और उसकी व्यापकता, (४) स्याद्वादकी सैद्धान्तिकता , (५) अहिंसाका आदर्श, (६) प्रवृत्ति और निवृत्ति , (७) विश्व-शान्तिका अमोघ उपाय-अपरिग्रह , (८) मोक्षपथ , (९) निवृत्ति ले कर प्रवृत्तिकी ओर , (१०) राकेट युग और जैनसिध्धान्त , (११) वीतरागकी ही उपासना क्यों ?, (१२) नमस्कार महामन्त्र , (१३) नमस्कारमन्त्रमाहात्म्यकी कथाएं , (१४) संगीत और नाट्यकी विशेषता , (१५) आदिकालका हिन्दी जैन साहित्य और उसकी विशेषताएं , (१६) मन्त्री मण्डन और उसका गौरवशाली वंश , (१७) जैन श्रमणोंके गच्छों पर संक्षिप्त प्रकाश , (१८) अंग-विज्जा , (१९) वसंतगढकी प्राचीन धातु-प्रतिमाये (सचित्र), (२०) संस्कृतमें जैनोंका काव्य-साहित्य , (२१) विश्व-मैत्री और विश्वशांतिके सच्चे विधायक विश्व-वत्सल भगवान महावीर , (२२) कर्म और आत्माका
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