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शुभाशीष/श्रद्धांजलि
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ सम्मानीय शुभांजलि
कपूरचंद जैन, पाटनी
महामंत्री : असम प्रादेशिक दिगम्बर जैन (ध.स.) महासभा साहित्याचार्य डॉ. पं. दयाचंद दिगम्बर जैन समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त गणनीय विद्वान थे। इन्होंने जिनवाणी की महती सेवा की है । सेवारत रहकर जैन दर्शन, जैन साहित्य के क्षेत्र में बहुत कार्य किया है। वर्तमान नई पीढ़ी को शिक्षा - दीक्षा देकर धर्मनिष्ठ एवं सुसंस्कृत बनाया है। अपनी अनवरत साधना
और जैन वाङ्मय के अध्ययन - अनुशीलन ने उनकी सेवा का क्षेत्र काफी व्यापक बनाया | वे कुशल वक्ता, सुयोग्य लेखक, सम्पादक तथा अनुवादर के रूप में समादृत हुए। वे साहित्य जगत क्सी विविध मुखी प्रवृत्तियों एवं योजनाओं मे. योगदान करने में सदैव क्रियाशील रहे । आपने अपने जीवन काल में अनेक ग्रंथों की रचना की जिनमें प्रमुख है “जैन पूजा काव्य एक चिंतन", चतुर्विशति संधान महाकाव्य (सम्पादित), भगवान महावीर मुक्तक स्तवन आदि। पंडित जी को इनकी रचनाओं पर अनेक पुरस्कार भी प्राप्त हुए । आप बुंदेलखण्ड के महान संत पूज्य गणेश प्रसाद जी वर्णी के स्नेह भाजन रहे । उनका इनके ऊपर आशीर्वादात्मक वरद हस्त रहा । वे धर्म सेवा के प्रेरणा स्रोत रहे।
विद्वान किसी स्थान या समाज या देश विशेष का नहीं होता। वह स्वच्छ नीर की तरह जन -जन को जीवन एवं प्रेरणा देने वाला, सुपथ दर्शाने वाला, आदरणीय एवं पूज्य होता है। राजा - महाराजाओं की मान्यता उनके शासित प्रदेशों में ही होती है, किन्तु विद्वान सूर्य के प्रकाश की तरह सर्वगामी एवं सर्वग्राह्य, सर्वमान्य, आराधनीय होता है । पंडित जी ने सागर को ही नहीं, सम्पूर्ण भारतीय जैन समाज को उपकृत किया है, जैन वाङ्मय की अपूर्व सेवा की है । ऐसे बहुश्रुत मनीषी विद्वज्जन की पावन स्मृति में प्रकाशित स्मृति ग्रंथ की सफलता की कामना करता हूँ।
विनयांजलि
डॉ. आनंद प्रकाश शास्त्री
___ कोलकाता पं.जी का छात्रावास की सेवाओं में बहुत बड़ा योगदान रहा है। पं. जी का साहित्य सेवा में भी अनुकरणीय योगदान रहा है । पं. जी से कई प्रकार के मार्गदर्शन मिले थे जो आज हमारा पथ प्रशस्त कर रहे हैं उनकी हर अनुभवी बातें आज बहुत ही प्रेरणास्पद है जिसका हमें समय-समय पर बहुत लाभ होता है। ऐसे बहुमुखी एवं साहित्य सेवाभावी पूज्य पं. जी के प्रति हम विनयांजलि प्रगट करते हैं।
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