________________
शुभाशीष/श्रद्धांजलि
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ स्थित एस.पी. जैन गुरुकुल उच्चतर मा. विद्यालय का प्राचार्य बना तो पंडित जी का स्नेह अत्याधिक मिला । जब भी मिलने जाता बढ़े स्नेह से प्रसन्नतापूर्वक आशीर्वाद देते थे। उन्होंने अपना सम्पूर्ण साहित्य मुझे सस्नेह भेंट में दिया जो मेरे पास सुरक्षित है। लगभग 1976 में पंडित जी प्रवचन करने अजमेर गये थे। वे श्री सेठ सोनी जी के मंदिर में प्रवचन करते थे। मैं मुनियों के बीच श्री सोनी जी की नशिया में प्रवचन करता था। पूज्य पंडित जी प्रात: 8 बजे से होने वाले प्रवचन में सोनी जी की नशिया में आकर मेरा प्रवचन सुनते थे और प्रवचन के बाद प्रसन्नतापूर्वक मुझे आशीर्वाद देते थे तथा उत्साहवर्धन करते थे।
__पंडित जी अनुशासन प्रिय, कुशल शिक्षक, छात्र हितैषी, छात्रों को पुत्रवत् स्नेह प्रदान करने वाले, उच्च कोटि के विद्वान थे। उनकी स्मृतियों को स्थायी बनाने के लिए स्मृति ग्रंथ प्रकाशन समिति एवं सम्पादक मण्डल को साधुवाद देता हुआ पूज्य पंडित जी के श्रीचरणों में आदरांजलि अर्पित करता हूँ
इत्यलम्
जैन समाज के सुमेरु थे पं. श्री दयाचंद जी
सुरेश जैन मारौरा
वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी उद्यान विभाग, शिवपुरी पंडिज जी जैन दर्शन के वरिष्ठ मूर्धन्य विद्वान, जैन विधा के अप्रतिम मनीषी उच्च कोटि के सहृदय कर्मठ समर्पित और जागरूक शिक्षक, अप्रतिम अद्वितीय, अलौकिक प्रतिभा एवं महान व्यक्तित्व के धनी, विद्वत जगत के जाज्वल्यमान नक्षत्र, क्षमा मार्दव और चर्तुमुखी प्रतिभा संपन्न, प्रगाढ विद्वता, सौम्य व्यक्तित्व के कर्तव्यशील, जैन जगत के गौरव, अमूल्य निधि, जैन समाज के भूषण थे।
पंडित जी निस्पृह साहित्य और समाज सेवक, समाज के मार्गदर्शक, समता - ममता के अनुरंजक जीवन मूल्यों के प्रति आस्थावान, मधुर व्यवहारी, युग प्रेणता, धर्मानुरागी, साहित्य सेवी, तत्वज्ञान के भण्डारी, निर्लोभी, युग पुरुष और जैन धर्म को स्वयं जीवन में उतारने वाले मुनि भक्त रहे है
__पंडित जी ने नास्तिकता के परिहार के ध्येय से एक शोध प्रबंध "जैन पूजा काव्य एक चिंतन" लिखा जिसके अध्ययन अनुशीलन से साहित्य संस्कृति कला पुरातत्व, दर्शन चिंतन से समाज अत्यंत प्रभावित हुई है । ऐसे उत्कृष्ट व्यक्तित्व के धनी डॉ. पंडित श्री दयाचंद जी साहित्याचार्य की पावन स्मृतियों को चिर स्थाई रखने के लिए मैं अपनी सादर विनयांजलि श्रंद्धाजलि समर्पित कर रहा हूँ इस विश्वास के साथ इस स्मृति ग्रंथ के माध्यम से पाठकों को इस महा मानव के व्यक्तित्व कृतित्व का अध्यापन करने का सुअवसर प्राप्त होगा।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org