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शुभाशीष/श्रद्धांजलि
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ
मंगल आशीर्वाद
जिनशासन की प्रभावना में किया गया जब छोटा सा कार्य भी स्तुत्य होता है। फिर पंडित दयाचंद्र जी साहित्याचार्य के द्वारा किया गया जिन धर्म की सेवा का कार्य प्रशंसनीय क्यों नहीं होगा ?
साधु सेवा में अग्रणी ऐसे व्यक्ति के स्मृति ग्रंथ का प्रकाशन किया जा रहा है। स्मृति ग्रंथ प्रकाशन समिति के लिए मेरा मंगल आशीर्वाद है।
- मुनि विमर्श सागर
शिक्षा गुरू कृतज्ञांजलि अष्टक
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श्री 108 मुनिवर गणेशकीर्ति महाराज के... चरण कमल शिरनाय। हो समाधि बल यह मिले.. जन्म मरण नशजाय ॥ मोराजी (सागर) के अध्ययन काल में... श्री वर्णी जी का था प्रवास। 1951 से 53 के समय में सदपदेश मिला - लक्ष्य हीन अध्ययन का क्या प्रयास ? कक्षा अध्यापक थे, पं. दयाचंद्र जी दया मूर्ति , जिनके रिक्त स्थान की सहज न होगी पूर्ति ... "पिता श्री पं. भायजी के दया" माता श्री मथुरा जी के चंद्र ... तृतीय पुत्र थे आप सर्वाधिक शिक्षित गुणबंद... जो श्री वर्णी जी के शुभाशीष के महापात्र... अध्यापन कार्य मोराजी में 55 वर्षों तक रहे सुपात्र ...
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