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कृतित्व/हिन्दी
" मार्गणा”
जिनमें अथवा जिनके द्वारा जीवों की मार्गणा - खोज की जावे उन्हें मार्गणा कहते हैं । 343 राजू प्रमाण लोकाकाश में अक्षय अनन्त जीव राशि भरी हुई है उसे खोजने अथवा उस पर विचार करने के साधनों में मार्गणा का स्थान सर्वोपरि है । यह मार्गणाएं चौदह प्रकार की होती हैं :
1 गति 2 इन्द्रिय 3 काय 4 योग 5 वेद 6 कषाय 7 ज्ञान 8 संयम 9 दर्शन 10 लेश्या 11 भव्यत्व 12 सम्यक्त्व 13संज्ञित्व और 14 आहार ।
सान्तरमार्गणा
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ
सामान्य रूप से सभी मार्गणाएं सदा विद्यमान रहती हैं परन्तु मार्गणाओं के प्रभेद रूप उत्तर मार्गणाओं की अपेक्षा विचार करने पर 1 उपशम सम्यक्त्व, 2 सूक्ष्मसांपराय संयम, 3 आहारक-काययोग, 4 आहारक मिश्र काययोग, 5 वैक्रियिक मिश्र काययोग, 6 अपर्याप्तक मनुष्य, 7 सासादन सम्यक्त्व और 8 मिश्रसम्यङ मिथ्यात्व """ 'इन आठ मार्गणाओं का कदाचित् कुछ समय तक अभाव भी हो जाता है इसलिये इन्हें सान्तर मार्गणाएं कहते है । इनमें उपसमसम्यक्त्व का उत्कृष्ट अन्तर काल सात दिन, सूक्ष्म सांपराय का छह माह, आहारक काययोग का पृथक्त्व वर्ष, आहारक मिश्र काययोग का पृथक्त्व वर्ष, वैक्रियिक मिश्र का योग का बारह मुहूर्त, अपर्याप्त मनुष्य का पल्य के असंख्यातवें भाग तथा सासादन और मिश्रका भी उत्कृ अन्तरकाल पल्य के असंख्यातवें भाग है अर्थात् इतने समय के बीतने पर कोई न कोई जीव इन मार्गणाओं का धारक नियम से होता है। उपर्युक्त आठों सान्तर मार्गणाओं का जघन्य अन्तर काल एक समय ही है। इस संदर्भ में इतनी विशेषता और ध्यान में रखना चाहिये कि प्रथमोपशम सम्यक्त्व से सहित पञ्चम गुणस्थान का उत्कृष्ट विरह काल चौदह दिन का तथा छठवें और सातवें गुणस्थान का पन्द्रह दिन है । मार्गणाओं का संक्षिप्त स्वरूप इस प्रकार हैं :
गतिमार्गणा
5- गति,
नाम कर्म के उदय से प्राप्त हुई जीव की अवस्था विशेष को गति कहते हैं । इसके नरक- तियञ्चगति, मनुष्यगति और देवगति ये चार भेद हैं।
नरकगति
नरकगति नाम कर्म के उदय से जो अवस्था होती है उसे नरकगति कहते हैं । इस गति के जीव निरन्तर दुःखी रहते हैं, रञ्चमात्र के लिये भी इन्हें रत - सुख की प्राप्ति नहीं होती इसलिये इन्हें नरत भी कहते हैं। इन जीवों का निवास रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुका प्रभा, पङ्कप्रभा, धूमप्रभा, तमः प्रभा और महातमः प्रभा इन सात भूमियों में हैं । इन भूमियों में क्रम से 30 लाख, 25 लाख, 15 लाख, 10 लाख, 3 लाख, पांच कम एक लाख और 5 बिल है । उन्ही विलों में नारकियों का निवास है ।
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